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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

125651.

Kinds of Fringe Benefits.

Answer»

The various organizations in India offers fringe benefits that may be categorized as follows:

1) Old Age and Retirement Benefits - these include provident fund schemes, pension schemes, gratuity and medical benefits which are provided to employee after their retirement and during old age as a sense of security about their old age.

2) Workman’s Compensation - these benefits are provided to employee if they are got ignored or die under the working conditions and the sole responsibility is of the employer.

3) Employee Security- Regular wage and salary is given to employee that gives a feeling of security. Other than this compensation is also given if there is lay-off or retrenchment in an organization.

4) Payment for Time Not Worked – Underthis category of benefits, a worker is provided payment for the work that has been performed by him during holidays and also for the work done during odd shifts. Compensatory holidays for the same number in the same month are given if the worker has not availed weekly holidays.

5) Safety and Health – Under this benefit workers are provided conditions and requirements regarding working condition with a view to provide safe working environment. Safety and Health measures are also taken care of in order to protect the employees against unhealthy working conditions and accidents.

6) Health Benefits – Employees are also provided medical services like hospital facility, clinical facility by the organization.

125652.

अपकिरण की परिभाषा दीजिए।

Answer»

“अपकिरण मदों के विचरण का माप है।”

125653.

Why is cheap and affordable credit important for the country’s development? Explain three reasons.

Answer»

Cheap and affordable credit is important for the country’s development because of the following reasons: 

(i) This would lead to higher incomes and many people could then borrow cheaply for a variety of needs. 

(ii) They could grow crops, do business, set up small scale industries etc. 

(iii) They could set up new industries or trade in good. All these lead to the country’s development.

125654.

70-80 बुद्धि-लब्धि वाला व्यक्ति कहलाता है (क) प्रखर(ख) प्रतिभाशाली(ग) सामान्य(घ) दुर्बल बुद्धि

Answer»

सही विकल्प है  (घ) दुर्बल बुद्धि

125655.

The Allied armies occupied the resources rich (a) Rhineland (b) Green land (c) Sudentenland

Answer»

Correct Answer is: (a) Rhineland

125656.

बुद्धि की व्याख्या करने वाले बहुखण्ड सिद्धान्त का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।

Answer»

बुद्धि के बहुखण्ड सिद्धान्त के प्रतिपादक कैली (Kelley) और थर्स्टन (Thurstone) हैं। कैली के अनुसार बुद्धि निम्नलिखित खण्डों या योग्यताओं का समूह होती है।

⦁    सामाजिक योग्यता (Social ability)
⦁    गामक योग्यता (Motor ability)
⦁    सांख्यिकीय योग्यता (Numerical ability)
⦁    रुचि (Interest)
⦁    सर्जनात्मक योग्यता (Productive ability)
⦁    शाब्दिक योग्यता (Verbal ability)
⦁    स्थान सम्बन्धी विचार की योग्यता (Ability deal with spatial relations)
⦁    यान्त्रिक योग्यता (Mechanical ability)
⦁    शारीरिक योग्यता (Physical ability)।

थस्टन ने भी बुद्धि को 13 मानसिक योग्यताओं का समूह माना है, जिसमें प्रमुख योग्यताएँ निम्नलिखित हैं
⦁    आगमनात्मक योग्यता (Inductive ability)
⦁    निगमनात्मक योग्यता (Deductive ability)
⦁    प्रत्यक्षीकरण की योग्यता (Perceptical ability)
⦁    सांख्यिकी योग्यता (Numerical ability)
⦁    स्थान सम्बन्धी योग्यता (Spatial ability)
⦁    शाब्दिक योग्यता (Verbal ability)
⦁    समस्या समाधान योग्यता (Problem solving ability)
⦁    स्मृति (Memory)।
वर्तमान में बुद्धि का बहुखण्ड सिद्धान्त अमान्य हो चुका है।

125657.

सामान्य एवं विशिष्ट कारक बुद्धि सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया है?

Answer»

सामान्य एवं विशिष्ट कारक बुद्धि सिद्धान्त (दो खण्ड का सिद्धान्त) स्पीयरमैन ने प्रस्तुत किया हैं।

125658.

बुद्धि की व्याख्या के लिए कौन-कौन-से सिद्धान्त प्रस्तुत किये गये हैं ?

Answer»

⦁    एक खण्डीय सिद्धान्त
⦁    दो खण्डों का सिद्धान्त
⦁    बहुखण्ड को सिद्धान्त तथा
⦁    त्रा सिद्धान्त।

125659.

बुद्धि के एक खण्डीय सिद्धान्त तथा दो खण्डों के सिद्धान्त का सामान्य परिचय दीजिए।याबुद्धि के द्वि-कारक सिद्धान्त की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।याबुद्धि के द्वि-खण्ड (तत्त्व) सिद्धान्त के बारे में लिखिए।

Answer»

1.एक-खण्डीय सिद्धान्त :
एक-खण्डीय सिद्धान्त के प्रमुख प्रतिपादक, बिने (Binet), टरमन (Turman) तथा स्टर्न (Stern) हैं। इनके अनुसार बुद्धि एक अखण्ड और अविभाज्य है। हमारी विभिन्न मानसिक योग्यताएँ एक इकाई के रूप में कार्य करती हैं, परन्तु यह सिद्धान्त अब अमान्य हो चुका है।
2. दो खण्डों का सिद्धान्त :
इस सिद्धान्त के प्रतिपादक स्पीयरमैन (Spearman) हैं, उनके अनुसार बुद्धि के दो तत्त्व हैं – सामान्य योग्यता और विशिष्ट योग्यता। स्पीयरमैन सामान्य योग्यता को विशिष्ट योग्यता से अधिक महत्त्वपूर्ण मानता है। उसके अनुसार इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं।

⦁    सामान्य योग्यता जन्मजात होती है।
⦁    सामान्य योग्यता एक मानसिक शक्ति है।
⦁    इसका उपयोग मानसिक कार्यों में होता है।
⦁    सामान्य योग्यता प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न मात्रा में पायी जाती है।
⦁    सामान्य योग्यता किस व्यक्ति में कितनी है, इसका पता अन्तर्दृष्टि (Insight) द्वारा किये जाने वाले कार्यों में किया जा सकता है।
⦁    सामान्य योग्यता का तत्त्व शक्ति में सर्वदा एकसमान है।
⦁    जिन व्यक्तियों में जितनी सामान्य योग्यता पायी जाती है, उतना ही वह व्यक्ति सफल माना जाता

विशिष्ट योग्यता का सम्बन्ध व्यक्ति के विशिष्ट कार्यों से होता है। विशिष्ट योग्यता की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं।
⦁    विशिष्ट योग्यता भी व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न मात्रा में पायी जाती है।
⦁    विशिष्ट योग्यता को प्रयास द्वारा अर्जित किया जा सकता है।
⦁    विशिष्ट योग्यता परस्पर एक-दूसरे से भिन्न होती है।
⦁    विशिष्ट योग्यताएँ अनेक होती हैं।
⦁    जिस व्यक्ति में जिस विशेष योग्यता की प्रधानता होती है, वह उसी में निपुणता प्राप्त करता है।

125660.

बुद्धि एवं ज्ञान में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

Answer»

बुद्धि और ज्ञान में निम्नलिखित अन्तर हैं।

⦁    बुद्धि जन्मजात और वंश-परम्परा से प्राप्त शक्ति है, जबकि ज्ञान वातावरण के द्वारा अर्जित शक्ति
⦁    बेलार्ड के अनुसार, “बुद्धि वह मानसिक योग्यता है, जिसका मापन ज्ञान, रुचि और आदतरूपी साधनों के द्वारा किया जा सकता है।
⦁    बुद्धि प्राप्त ज्ञान का जीवन में प्रयोग करना है, जब कि ज्ञान किसी तथ्य की जानकारी प्राप्त करना
⦁    तीव्र बुद्धिज्ञान के विकास में अधिक योग देती है, परन्तु अधिक ज्ञान बुद्धि के विकास में अधिक योग नहीं देता।
⦁    ज्ञान का विकास सरलता से किया जा सकता है, परन्तु बुद्धि का नहीं।
⦁    रॉस के अनुसार, “बुद्धि लक्ष्य है और ज्ञान उस तक पहुँचने का केवल साधन है।”
⦁    एडम्स (Adams) के अनुसार, व्यावहारिक जीवन में उपयोग में लाने योग्य ज्ञान अथवा विचार ही बुद्धि है।”
⦁    विभिन्न समस्याओं को हल करने में बुद्धि का योग ज्ञान की तुलना में अधिक रहता है।
⦁    एक व्यक्ति श्रम में विद्वान् या ज्ञानवान हो सकता है, परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि वह बुद्धिमान भी हो। इसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह ज्ञानवान भी हो।
⦁    ज्ञान का बुद्धि से घनिष्ठ सम्बन्ध है। यदि बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, तो ज्ञान भी नष्ट हो जाता है।

125661.

बुद्धि से आप क्या समझते हैं ? बुद्धि की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

Answer»

बुद्धि का स्वरूप एवं परिभाषा बुद्धि के स्वरूप के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों की भिन्न-भिन्न धारणाएँ हैं। प्रत्येक विद्वान ने अपनी धारणा के अनुसार ही बुद्धि को परिभाषित किया है। यहाँ पर हम कुछ विद्वानों द्वारा प्रतिपादित परिभाषाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं
⦁    वुडवर्थ Woodworth) के अनुसार, “बुद्धि कार्य करने की एक विधि है।”
⦁    टरमन (Turman) के अनुसार, “बुद्धि, अमूर्त विचारों के विषय में सोचने की योग्यता है।”
⦁    बकिंघम (Buckingham) के अनुसार, “बुद्धि सीखने की योग्यता है।’
⦁    रायबर्न (Ryhurm) के अनुसार, “बुद्धि वह शक्ति है, जो हमको समस्याओं का समाधान करने और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने की योग्यता प्रदान करती है।”
⦁    क्रूज (Cruz) के अनुसार, “बुद्धि नवीन और विभिन्न परिस्थितियों में भली प्रकार से समायोजन की योग्यता है।”
⦁    रेक्स नाइट (Rex Knight) के अनुसार, “बुद्धि वह मानसिक योग्यता है, जिसके द्वारा हम किसी उद्देश्य की पूर्ति या किसी समस्या का समाधान करने के लिए सम्बन्धित वस्तुओं एवं विचारों को सीखते हैं।”

बुद्धि की विशेषताएँ
बुद्धि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
⦁    बुद्धि व्यक्ति में जन्मजात होती है।
⦁    बुद्धि द्वारा व्यक्ति अतीत के अनुभवों से लाभ उठाता है।
⦁    बुद्धि द्वारा व्यक्ति परिस्थिति को समझता है।
⦁    बुद्धि व्यक्ति के नवीन परिस्थितियों से समायोजन करने में सहायक होती है।
⦁    बुद्धि व्यक्ति को अमूर्त चिन्तन करने की योग्यता प्रदान करती है।
⦁    बुद्धि व्यक्ति को विभिन्न क्रियाएँ सीखने में सहायता देती है।
⦁    बुद्धि व्यक्ति के आलोचनात्मक दृष्टिकोण का विकास करती है।
⦁    बुद्धि जटिल समस्याओं को हल करने तथा उन्हें सरल बनाने में सहायक होती है।
⦁    बुद्धि ही सत्य और असत्य, नैतिक और अनैतिक कार्यों में अन्तर करने की योग्यता देती है।
⦁    बुद्धि का विकास जन्म से किशोरावस्था के मध्यकाल तक होता है।
⦁    बालक तथा बालिकाओं की बुद्धि में कोई विशेष अन्तर नहीं होता है।

125662.

बुद्धि के मुख्य प्रकारों का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।

Answer»

गैरेट (Garret) तथा थॉर्नडाइक (Thorndike) के अनुसार बुद्धि तीन प्रकार की होती हैं।

1. मूर्त बुद्धि :
विभिन्न वस्तुओं को समझने तथा अनुकूल क्रिया करने में मूर्त (Concrete) बुद्धि का प्रयोग होता है। जिनमें यह बुद्धि होती है, वे यन्त्रों तथा मशीनों में विशेष रुचि लेते हैं। यह बुद्धि गामक (Motor) बुद्धि भी कहलाती है।
2. अमूर्त बुद्धि :
अमूर्त (Abstract) बुद्धि का कार्य सूक्ष्म तथा अमूर्त प्रश्नों को चिन्तन तथा मनन के द्वारा हल करना होता है। इस बुद्धि का सम्बन्ध पुस्तकीय ज्ञान से होता है। दार्शनिकों, कवियों तथा साहित्यकारों में यह बुद्धि विशेष रूप से पायी जाती है।
3. सामाजिक बुद्धि :
सामाजिक बुद्धि का तात्पर्य व्यक्ति की उस योग्यता से है, जो उसमें सामाजिक समायोजन की क्षमता उत्पन्न करती है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि होती है, वह मिलनसार तथा सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि लेता है। राजनीतिज्ञों, कूटनीतिज्ञों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं में यह बुद्धि विशेष रूप से पायी जाती है।

125663.

बुद्धि-परीक्षण से आप क्या समझते हैं ? बुद्धि-परीक्षणों के मुख्य प्रकारों का उल्लेख कीजिए।याबुद्धि-परीक्षण क्या है ? बुद्धि का परीक्षण कैसे होता है ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। याबुद्धि-परीक्षण से क्या तात्पर्य है? इसकी कोई एक परिभाषा दीजिए। याबुद्धि-परीक्षण के प्रकार बताइए तथा किसी एक बुद्धि-परीक्षण का वर्णन कीजिए।

Answer»

बुद्धि-परीक्षण का अर्थ
बुद्धि के वास्तविक स्वरूप को निर्धारित करने का प्रयास बुद्धि सम्बन्धी परीक्षण के आधार पर किया जाता है। प्राचीनकाल में बुद्धि और ज्ञान में कोई अन्तर नहीं समझा जाता था, किन्तु बाद में लोग इस भिन्नता से परिचित हुए और परीक्षा के माध्यम से बुद्धि का मापन करने लगे। इस प्रकार हम कह सकते हैं। कि जिन व्यवस्थित परीक्षणों के माध्यम से बुद्धि की परीक्षा एवं मापन का कार्य किया जाता है, उन्हें बुद्धि-परीक्षण कहा जाता है। बुद्धि-परीक्षण द्वारा मापी जाने वाली बौद्धिक योग्यताओं के अन्तर्गत तर्क, कल्पना, स्मृति, विश्लेषण एवं संश्लेषण की क्षमता आदि को सम्मिलित किया जाता है। बुद्धि-परीक्षण को निम्न प्रकार परिभाषित कर सकते हैं
“बुद्धि-परीक्षण, वे मनोवैज्ञानिक परीक्षण हैं जो मानव-व्यक्तित्व के सर्वप्रमुख तत्त्व एवं उसकी प्रधान मानसिक योग्यता ‘बुद्धि का अध्ययन तथा मापन करते हैं।”

बुद्धि-परीक्षणों के प्रकार
बुद्धि के मापन हेतु जितनी भी बुद्धि-परीक्षाओं का प्रयोग किया जाता है, उनमें निहित क्रियाओं के आधार पर बुद्धि-परीभणों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया जा सकता है
(A) शाब्दिक परीक्षण
(B) अशाब्दिक परीक्षण

(A) शाब्दिक परीक्षण
ये बुद्धि-परीक्षण शब्द अथवा भाषायुक्त होते हैं। इस प्रकार के परीक्षणों में प्रश्नों के उत्तर भाषा के माध्यम से लिखित रूप में दिये जाते हैं। इन परीक्षणों को व्यक्तिगत तथा सामूहिक दो उपवर्गों में बाँटा जा सकता है। इस भाँति शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण दो प्रकार के होते हैं

1. शाब्दिक व्यक्ति बुद्धि-परीक्षण :
शाब्दिक व्यक्ति बुद्धि-परीक्षणों के प्रकार बुद्धि-परीक्षण ऐसे बुद्धि परीक्षण हैं जिनमें भाषा का पर्याप्त मात्रा में प्रयोग करके किसी एक व्यक्ति की बुद्धि-परीक्षा ली जाती है।
उदाहरणार्थ :
बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण।

2. शाब्दिक समूह बुद्धि-परीक्षण :
इस परीक्षण में किसी एक व्यक्ति की नहीं, अपितु समूह की बुद्धि-परीक्षा ली जाती है। इस प्रकार के परीक्षणों के अन्तर्गत भी भाषागत प्रश्न-उत्तर होते हैं।
उदाहरणार्थ :
आर्मी एल्फा और बीटा परीक्षण।

(B) अशाब्दिक परीक्षण
इन बुद्धि-परीक्षणों के पदों में भाषा का कम-से-कम प्रयोग किया जाता है तथा चित्रों, गुटकों या रेखाओं के द्वारा काम कराया जाता है। व्यक्तिगत तथा सामूहिक आधार पर ये परीक्षण भी दो उपवर्गों में बाँटे जा सकते हैं

1. अशाब्दिक व्यक्ति बुद्धि-परीक्षण :
अशाब्दिक व्यक्ति बुद्धि-परीक्षण में भाषा सम्बन्धी योग्यता की कम-से-कम आवश्यकता पड़ती है। ये परीक्षण प्रायः अशिक्षित (बे-पढ़े-लिखे) लोगों पर लागू किये जाते हैं, जिनके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के क्रियात्मक परीक्षण आयोजित किये जाते हैं और भाँति-भाँति के यान्त्रिक कार्य कराये जाते हैं। उदाहरणार्थ-घड़ी के पुर्जे खोलना-बाँधना।
2. अशाब्दिक समूह बुद्धि-परीक्षण :
अशाब्दिक समूह बुद्धि-परीक्षण, ऊपर वर्णित व्यक्ति परीक्षण से मिलते-जुलते हैं। समय, धन एवं शक्ति के अपव्यय को रोकने के लिए एक समूह को एक
साथ परीक्षण दे दिया जाता है।

125664.

व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि-परीक्षणों का सामान्य परिचय दीजिए तथा इनके गुण-दोषों का भी उल्लेख कीजिए।याबुद्धि के व्यक्तिगत और सामूहिक परीक्षणों की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।याव्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि-परीक्षण से आप क्या समझते हैं? 

Answer»

व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि-परीक्षण
यदि मनोवैज्ञानिक परीक्षण को प्रशासन की विधि के आधार पर देखा जाए तो बुद्धि – परीक्षणों को प्रशासन दो प्रकार से सम्भव है – प्रथम, व्यक्तिगत रूप से परीक्षा लेकर; एवं द्वितीय, सामूहिक रूप से परीक्षा संचालित करके। इसी दृष्टि से बुद्धि-परीक्षणों के दो भाग किये जा सकते हैं
(A) व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षण तथा
(B) सामूहिक बुद्धि-परीक्षण। अब हम बारी-बारी से इन दोनों के परिचय एवं गुण-दोषों का वर्णन करेंगे।

(A)  व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षण
व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षण उन परीक्षणों को कहा जाता है जिनमें एक बार में एक ही व्यक्ति अपनी बुद्धि की परीक्षा दे सकता है। ये परीक्षण लम्बे तथा गहन अध्ययन के लिए प्रयोग किये जाते हैं। व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षण दो प्रकार के होते हैं

1. शाब्दिक रीक्षण :
शाब्दिक व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षण में भाषा का प्रयोग किया जाता है तथा परीक्षार्थी को लिखकर कुछ प्रश्नों के उत्तर देने पड़ते हैं।
2. क्रियात्मक परीक्षण :
इने बुद्धि-परीक्षणों में परीक्षार्थी को कुछ स्थूल वस्तुएँ या उपकरण प्रदान किये जाते हैं तथा उससे कुछ सुनिश्चित एवं विशेष प्रकार की क्रियाएँ करने को कहा जाता है। उन्हीं क्रियाओं के आधार पर उनकी बुद्धि का मापन होता है।

व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षण के गुण-दोष
व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षण के गुण-दोष निम्न प्रकार वर्णित हैं

गुण :
⦁    व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षण छोटे बालकों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं। छोटे बालकों की चंचल प्रवृत्ति के कारण उनका ध्यान जल्दी भंग होने लगता है। परीक्षण की ओर ध्यान केन्द्रित करने के लिए व्यक्तिगत परीक्षा लाभकारी है।
⦁    इन परीक्षणों में परीक्षार्थी परीक्षक के व्यक्तिगत सम्पर्क में रहता है। उसकी बुद्धि का मूल्यांकन करने में उसके व्यवहार से भी सहायता ली जा सकती है और अधिक विश्वसनीय सूचनाएँ प्राप्त हो सकती हैं।
⦁    परीक्षा प्रारम्भ होने से पूर्व परीक्षार्थी से भाव सम्बन्ध स्थापित करके उसकी मनोदशा को परीक्षण के प्रति केन्द्रित किया जा सकता है। इससे वह उत्साहित होकर परीक्षा देता है।
⦁    आदेश/निर्देश सम्बन्धी कठिनाई का तत्काल निराकरण किया जाना सम्भव है।
⦁    इन परीक्षणों का निदानात्मक महत्त्व अधिक होता है; अत: इसके माध्यम से व्यक्तिगत निर्देशन कार्य को सुगम बनाया जा सकता है।

दोष :
⦁    व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षा केवल विशेषज्ञ परीक्षणकर्ता द्वारा सम्भव होती है।
⦁    इसके माध्यम से सामूहिक बुद्धि का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
⦁    समय तथा धन दोनों की अधिक आवश्यकता पड़ती है।
⦁    प्रयोग की जाने वाली सामग्री अपेक्षाकृत काफी महँगी पड़ती है। अतः ये परीक्षण बहुत खर्चीले हैं।
⦁    विभिन्न परीक्षार्थियों की परीक्षा भिन्न-भिन्न समय पर लेने के कारण परिस्थितियों में बदलाव आ जाता है। सभी परीक्षार्थियों की परीक्षा के प्रति एकसमान रुचि नहीं रहतीजिसकी वजह से परीक्षण की वस्तुनिष्ठता कम हो जाती है।

(B) सामूहिक बुद्धि-परीक्षण
व्यक्तिगत बुद्धि-परीक्षण की परिसीमाओं के कारण कुछ समय बाद एक ऐसी पद्धति की माँग की जाने लगी जिसमें कम समय में ही अधिक व्यक्तियों की बुद्धि-परीक्षा सम्पन्न हो सके। जब द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने युद्ध में प्रवेश किया तो लाखों की संख्या में कुशल सैनिकों तथा सैन्य अधिकारियों की आवश्यकता पड़ी। इस स्थिति में टरमन तथा थॉर्नडाइक आदि मनोवैज्ञानिकों ने प्रयास करके दो प्रकार के सामूहिक परीक्षण तैयार किये-आर्मी एल्फा तथा आर्मी बीटा। इन परीक्षणों की मदद से बहुत कम समय में बड़ी संख्या में सैनिकों तथा सैन्य अधिकारियों का चयन सम्भव हो सका। इस प्रकार, सामूहिक बुद्धि-परीक्षण वे परीक्षण हैं, जिनकी सहायता से एक साथ एक समय में बड़े समूह की बुद्धि-परीक्षा ली जा सके। ये भी दो प्रकार के हैं

1. शाब्दिक परीक्षण :
शाब्दिक सामूहिक परीक्षणों में भाषा का प्रयोग होता है; अतः ये शिक्षित व्यक्तियों पर ही लागू हो सकते हैं।
2. अशाब्दिक परीक्षण :
अशाब्दिक सामूहिक परीक्षणों में आकृतियों तथा चित्रों का प्रयोग किया जाता है। ये अनपढ़, अर्द्ध-शिक्षित या विदेशी लोगों के लिए होते हैं।

सामूहिक बुद्धि-परीक्षण के गुण-दोष
सामूहिक बुद्धि-परीक्षण के गुण-दोष निम्न प्रकार हैं

गुण :
⦁    सामूहिक बुद्धि-परीक्षण में यह जरूरी नहीं होता कि परीक्षक विशेषज्ञ या विशेष रूप से प्रशिक्षित व्यक्ति हो।
⦁    समय तथा धन दोनों की काफी बचत होती है।
⦁    जाँचे का कार्य तो आजकल मशीनों द्वारा होने लगा है।
⦁    विभिन्न स्थानों पर एक साथ एक ही प्रकार की परीक्षा का संचालन सम्भव है। परीक्षार्थियों का तुलनात्मक मूल्यांकने भी सुविधापूर्वक किया जा सकता है।
⦁    ये परीक्षण अधिक वस्तुनिष्ठ हैं, क्योंकि एक ही परीक्षक पूरे समूह को एकसमान आदेश देता है, जिसके परिणामतः भाव सम्बन्ध की स्थापना तथा परीक्षार्थियों की परीक्षा में रुचि सम्बन्धी भेद उत्पन्न नहीं होता।
⦁    शैक्षणिक तथा व्यावसायिक निर्देशन में सामूहिक परीक्षणों से बड़ा लाभ पहुँचा है।

दोष :
⦁    सामूहिका बुद्धि-परीक्षण में परीक्षक परीक्षार्थी की मनोदशा से परिचित नहीं हो पाता। अतः व्यक्तिगत सम्पर्क व भाव सम्बन्ध की स्थापना का अभाव रहता है।
⦁    परीक्षार्थी आदेश भली प्रकार नहीं समझ पाते जिसकी वजह से अधिक गलतियाँ होती हैं।
⦁    यह ज्ञात नहीं हो पाता कि परीक्षार्थी अभ्यास से, रटकर या सोच-समझकर, कैसे परीक्षण पदों को हल कर रहे हैं।
⦁    इन परीक्षणों का निदान तथा उपचार में सापेक्षिक दृष्टि से कम महत्त्व होता है।
⦁    परीक्षण अपेक्षाकृत कम विश्वसनीय, कम प्रामाणिक तथा बालक के लिए बहुत कम उपयोगी सिद्ध होते हैं।

125665.

बुद्धि-परीक्षणों की विश्वसनीयता से क्या आशय है ?

Answer»

यदि बुद्धि-परीक्षण किसी व्यक्ति-विशेष की बुद्धि का एकरूपता से मापन करता है तो उसे विश्वसनीय (Reliable) कहा जाएगा। अनास्टेसी का कथन है कि “विश्वसनीयता से तात्पर्य स्थायित्व अथवा स्थिरता से है। उदाहरण के लिए, माना ‘स्टेनफोर्ड बिने बुद्धि परीक्षण द्वारा एक बालक ‘राजन’ की बुद्धि का मापन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उसकी बुद्धि-लब्धि 108 आती है। कुछ समय के पश्चात् साधारण परिस्थितियों में स्टेनफोर्ड बिने बुद्धि-परीक्षण’ द्वारा राजन की बुद्धि को पुनः मापन किया गया, जिसका परिणाम वही बुद्धि-लब्धि 108 निकला।
तीन-चार-पाँच बार जब परीक्षण द्वारा राजन की बुद्धि मापी गयी तो उसकी बुद्धि-लब्धि 108 ही प्राप्त हुई। निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि ‘स्टेनफोर्ड बिने बुद्धि-परीक्षण पूर्णरूप से विश्वसनीय बुद्धि-परीक्षण है। एक विश्वसनीय बुद्धि-परीक्षण में वस्तुनिष्ठता तथा व्यापकता का गुण अनिवार्य रूप से होना चाहिए। एक बुद्धि-परीक्षण उस समय वस्तुनिष्ठ कहा जाएगा, जब कि वह परीक्षक के व्यक्तिगत विचारों से प्रभावित न हो और उसकी व्यापकता से अभिप्राय है कि वह बुद्धि के सभी पक्षों का मूल्यांकन करेगा। एक बुद्धि-परीक्षण में विश्वसनीयता का गुण उसे प्रामाणिक बनाने में सहायता देता है।

125666.

शिक्षा में बुद्धि-परीक्षणों की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

Answer»

बुद्धि-परीक्षण मानव जीवन के लिए अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हुए हैं। शाब्दिक एवं अशाब्दिक सभी प्रकार के बुद्धि परीक्षणों के लाभों या उपयोगिता के कुछ मुख्य बिन्दुओं पर अग्र प्रकार से प्रकाश डाला जा सकता है।

1. बुद्धि-परीक्षण एवं शैक्षिक निर्देशन :
बालकों की शैक्षिक निर्देशन प्रदान करने में बुद्धि-परीक्षण अपनी विशिष्ट भूमिका निभाता है। बुद्धि-परीक्षण की सहायता से शिक्षार्थी की बुद्धि-लब्धि का मापन किया जाता है, जिसके आधार पर सामान्य, मन्द बुद्धि, पिछड़े तथा प्रतिभाशाली बालकों के मध्य विभेदीकरण हो जाता है। परीक्षण के परिणामों के आधार पर निर्देशन प्रदान किया जाता है। इसी से उनकी समस्याओं का निदान व उपचार करना सम्भव हो पाता है।
2. बुद्धि-परीक्षण एवं व्यावसायिक निर्देशन :
व्यक्ति के बौद्धिक स्तर तथा उसकी मानसिक योग्यताओं के अनुकूल व्यवसाय तलाश करने तथा नियुक्ति के सम्बन्ध में बुद्धि-परीक्षण सहायक सिद्ध होता है। व्यावसायिक निर्देशन से जुड़े दो पहलुओं–प्रथम, व्यक्ति विश्लेषण जिसमें व्यक्ति की बुद्धि, योग्यता, रुचि तथा व्यक्तित्व सम्बन्धी जानकारियाँ आती हैं; तथा द्वितीय, व्यवसाय विश्लेषण जिसमें विशेष व्यवसाय के लिए विशेष गुणों की आवश्यकता का ज्ञान आवश्यक है–में बुद्धि-परीक्षण उपयोगी है।
3. नियुक्ति :
विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थान व्यक्ति को रोजगार प्रदान करने में बौद्धिक स्तर का मूल्यांकन करते हैं। आजकल विभिन्न व्यवसायों से सम्बन्धित नियुक्ति से पूर्व की प्रायः सभी प्रतियोगिताओं में बुद्धि-परीक्षण लागू होते हैं।
4. वर्गीकरण :
शिक्षक अपने शिक्षण को अधिक उपयोगी एवं प्रभावशाली बनाने के लिए कक्षा के छात्रों को विभिन्न वर्गों; यथा-प्रखर बुद्धि, मन्द बुद्धि तथा औसत बुद्धि में विभाजित कर पढ़ाना चाहता । है। अलग वर्ग के लिए अलग एवं विशिष्ट शिक्षण विधि आवश्यक होती है। इन वर्गीकरणों के आधार बुद्धि-परीक्षण होते हैं।
5. शोध :
आजकल मनोवैज्ञानिक तथा शैक्षिक शोध-कार्यों में विषय-पात्रों के बौद्धिक स्तर तथा मानसिक योग्यता का सापन करना एक आम बात है। इसके लिए बुद्धि-परीक्षण काम में आते हैं।

125667.

बुद्धि की प्रमुख विशेषता क्या होती है? 

Answer»

बुद्धि से व्यक्ति अतीत के अनुभवों से लाभ उठाता है। वर्तमान परिस्थिति को समझता है तथा नवीन परिस्थितियों से समायोजन करता है।

125668.

बुद्धि-लब्धि को ज्ञात करने का सूत्र क्या है? याबुद्धि-लब्धि का सूत्र लिखिए।

Answer»

बुद्धि-लब्धि को ज्ञात करने का सूत्र

बुद्धि-लब्धि = मानसिक आयु / मानसिक आयु x 100

125669.

बुद्धि-परीक्षण से क्या आशय है ?

Answer»

बुद्धि परीक्षण, वे मनोवैज्ञानिक परीक्षण हैं जो मानव-व्यक्तित्व के सर्वप्रमुख तत्त्व एवं उसकी प्रधान मानसिक योग्यता बुद्धि का अध्ययन तथा मापन करते हैं।

125670.

बुद्धि-परीक्षणों में निहित क्रियाओं के आधार पर उनके मुख्य वर्ग कौन-से हैं?

Answer»

बुद्धि-परीक्षणों में निहित क्रियाओं के आधार पर उनके मुख्य वर्ग हैं

⦁    शाब्दिक परीक्षण तथा अशाब्दिक या क्रियात्मक परीक्षण।

125671.

बुद्धि-लब्धि सूत्र के निर्माता कौन हैं।

Answer»

बुद्धि-लब्धि सूत्र के निर्माता टरमन हैं।

125672.

The Viceroy of India who announced India’s participation in World War II  .......

Answer»

The Viceroy of India who announced India’s participation in World War II Lord Linlithgow

125673.

आर्मी एल्फा और बीटा परीक्षण किस वर्ग का परीक्षण है?

Answer»

आर्मी एल्फा और बीटा परीक्षण सामूहिक शाब्दिक बुद्धि परीक्षण है।

125674.

प्रथम विश्व युद्ध के समय किस प्रकार के बुद्धि-परीक्षण का जन्म हुआ?

Answer»

प्रथम विश्व युद्ध के समय मुख्य रूप से शाब्दिक समूह-बुद्धि-परीक्षणों का जन्म हुआ। इनके उदाहरण हैं – आर्मी एल्फा और बीटा परीक्षण।

125675.

“बुद्धि चार तत्त्वों का समूह है।” किसने कहा है?

Answer»

“बुद्धि चार तत्त्वों का समूह है।” वुडवर्थ ने कहा है।

125676.

बुद्धि क्या है?

Answer»

बुद्धि व्यक्ति की सम्पूर्ण शक्तियों का योग या सार्वभौमिक योग्यता है, जिसके द्वारा वह उद्देश्यपूर्ण कार्य करता है, तर्कपूर्ण ढंग से सोचता है तथा प्रभावी ढंग से वातावरण के साथ सम्पर्क स्थापित करता है।

125677.

Dictator of Russia during World War II..........

Answer»

Dictator of Russia during World War II Stalin.

125678.

भारतीय शिक्षाशास्त्री भाटिया द्वारा तैयार किए गए बुद्धि परीक्षण किस वर्ग के बुद्धि परीक्षण है?

Answer»

अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण।

125679.

किसने कहा है कि बुद्धि सात प्राथमिक योग्यताओं का समूह है?

Answer»

लुईस थर्स्टन।

125680.

Daughter of Pandit Jawaharlal Nehru ..........

Answer»

Daughter of Pandit Jawaharlal Nehru Indira Gandhi.

125681.

मानसिक आयु कैसे ज्ञात की जाती है?

Answer»

मानसिक आयु विभिन्न परीक्षणों द्वारा ज्ञात की जाती है।

125682.

बुद्धि-लब्धि क्या है?

Answer»

बालक की वास्तविक आयु और मानसिक आयु के आनुपातिक स्वरूप को बुद्धि-लब्धि कहा जाता है।

125683.

When was the Tonkin Free School started? (a) 1907 (b) 1905 (c) 1908 (d) 1906

Answer»

In 1907 Tonkin Free School started

125684.

Describe any three main features of the Tonkin Free School ?                         orWhat was the Tonkin School in Vietnam ? Explain its three features.

Answer»

(i) The Tonhn Free School was started in 1907 to provide Western style of education.
(ii) The education included classes in Science, hygiene, and French.
(iii) The school wanted to introduce modernism and western customs.
(iv) The school encouraged the adoption of Western styles such as having short haircut instead of traditionally kept long hair.
(v) In school textbooks, 'Vietnamese' were represented as primitive and backward and capable only of manual labor.

125685.

“बुद्धि-परीक्षा, किस प्रकार का कार्य अथवा समस्या होती है, जिसकी सहायता से एक व्यक्ति की मानसिक योग्यता का मापन किया जाता है।” यह कथन किसका है ?(क) टरमन का(ख) ड्रेवर का(ग) बिने का(घ) रोर्शा का

Answer»

सही विकल्प है  (ख) ड्रेवर का

125686.

बुद्धि की एक संक्षिप्त परिभाषा लिखिए।

Answer»

“बुद्धि अमूर्त विचारों के विषय में सोचने की योग्यता है।” [टरमन]

125687.

Describe the features of the 'The Tonkin Free School' started in 1907 to provide a Western Style of Education.

Answer»

(i) The Tonhn Free School was started in 1907 to provide Western style of education.
(ii) The education included classes in Science, hygiene and French.
(iii) The school wanted to introduce modernism and western customs.
(iv) The school encouraged the adoption o{ Western styles such as having short haircut instead of traditionally kept long hair.
(v) In school textbooks, 'Vietnamese' were represented as primitive and backward and capable only of manual labor.

125688.

“अमूर्त चिन्तन की योग्यता ही बुद्धि हैं।” यह परिभाषा किस मनोवैज्ञानिक द्वारा परिपादित है?

Answer»

यह परिभाषा टरमन द्वारा प्रतिपादित है।

125689.

An international organization formed after World War II to maintain peace in the world ........

Answer»

An international organization formed after World War II to maintain peace in the world United Nations.

125690.

What made Sam Manekshaw get selected to the IMA? a) Hard work b) ambition c) ambition combined with hard work d) recommendation

Answer»

c) ambition combined with hard work

125691.

The Tonkin Free School was started in Vietnam in 1907. It provided (a) Western-style education to Vietnamese (b) Basic education to Vietnamese (c) Health education to Vietnamese (d) Moral education to Vietnamese

Answer»

(a) Western-style education to Vietnamese

125692.

“बुद्धि अमूर्त वस्तुओं के विषय में सोचने की योग्यता है।” यह परिभाषा किसकी है?(क) थॉर्नडाइक की(ख) मैक्डूगल की(ग) बकिंघम की(घ) टरमन की

Answer»

सही विकल्प है  (घ) टरमन की

125693.

Would you consider Sam Manekshaw an ‘ever – prepared’ soldier?

Answer»

Yes, I would consider Sam – Manekshaw as an ‘ever – prepared’ soldier. Because when Manekshaw was seriously wounded defending Burma against the Japnese attack during the II World War, everyone though that he would lose his life. But to everyone’s surprise, Manekshaw soon recovered from his injury, not to rest, but to take more active part in challenging battles and to shoulder b) responsible assignments.

125694.

What happened to Sam Manekshaw during ‘World War’?

Answer»

Manekshaw took part in World War II. He was defending Burma against the Japanese attack. History has recorded a memorable experience. One day as he moved forward with his men against the Japanese army, he got shot by a Japanese soldier which seriously wounded him.

125695.

What made General Sir Roy describe Sam Manekshaw as “The very best staff officer he ever had”?

Answer»

By seeing for his service and sense of duty, devotion and commitment, General Sir Roy Bucher, the British commander – in – chief of the Indian Army described Manekshaw as the very best staff officer he ever had.

125696.

सन 1910 में किसने गणित की बुद्धि-परीक्षा सम्पादित की ?(क) बिने ने(ख) टरमन ने(ग) कैटेल ने(घ) कोर्टिस ने

Answer»

सही विकल्प है  (घ) कोर्टिस ने

125697.

Second World War and India.

Answer»
  • In the period of war, England required manpower and money. So, they enforced the recruitment of army personnel from India.
  • Extra taxes levied on Indians and taxes on trade and industries increased to raise funds needed for war.
  • Due to inflation, prices of essential items increased and Indians have also been affected by an increase in unemployment.
  • England exploited India and its resources to achieve victory in this war. India was a British colony and they took it in their right to use it as a source of supplying industrial products, cloth, and other commodities of daily use to their allied nations.
  • Due to exploitation by the Britishers, a large number of Indians, from various societies, workers, and farmers joined the national movement against the British.
  • India was pulled forcibly into this war by the British Government. India did not gain anything from this war.
125698.

Germany’s attack on this country directly provoked Britain to go to war .........

Answer»

Germany’s attack on this country directly provoked Britain to go to war Belgium.

125699.

Write short notes:Nazism

Answer»
  • Nazism is a set of political beliefs associated with the Nazi party of Germany.
  • Nazism is in a way slightly diverse form of fascism. Nazism gave more importance to racism.
  • It was an extremely aggressive and corrupt manifestation of fascism.
  • The genocide (the murder of all the people of a particular race, religion, etc.) of European Jews in Germany by Hitler had its roots in racism.
125700.

Write short notes:Congress and Defence Policy

Answer»
  • Indian National Congress had formed a number of policies related to the defense issues of the country. 
  • It included:
  • There should be a defense academy in India.
  • The British Government should share part of the defense expenditure meant for India’s protection from its treasury.
  • The official expenditure on defense should be curbed.
  • Indian citizens should be provided facilities of education and training to make themselves capable of self defense and defense of the nation.
  • Indian men should be recruited in the regional units of the army.
  • Home Guards and a group of volunteers should be established.
  • By the ‘Queen’s Proclamation’, Indian people should be appointed on the posts of higher grades.