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स्वतन्त्रता के बाद कृषि की उन्नति के लिए किये गये सरकार के प्रयासों का वर्णन कीजिए।याभारतीय कृषि की दशा सुधारने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा किये गये किन्हीं पाँच मुख्य उपायों का उल्लेख कीजिए।याभारत में कृषि के विकास के लिए सरकार द्वारा किये गये कोई दो कार्य लिखिए।

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स्वतन्त्रता के पश्चात् सरकार ने भारतीय कृषि को सुधारने के लिए अनेक उपाय किये हैं। इनमें प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं

1. जमींदारी-प्रथा का अन्त – जमींदारी-प्रथा भारतीय किसानों के लिए एक बड़ा अभिशाप थी। भारत सरकार ने इस व्यवस्था को समाप्त करके भूमि के समस्त अधिकार वास्तविक किसानों को दे दिये। कृषित भूमि के उचित वितरण को सुनिश्चित करने के लिए भूमि सम्पत्ति सीमा कानून’ भी लागू किया , गया।

2. चकबन्दी – सम्पत्ति उत्तराधिकार कानून के अनुसार कृषित भूमि के बँटवारे के कारण किसानों के जोत प्रायः बिखरे हुए होते थे, जो आर्थिक रूप से अनुपयोगी होते थे। अतएव सरकार ने ऐसे बिखरे खेतों की सीमाएँ पुनः निर्धारित करने हेतु चकबन्दी व्यवस्था की तथा किसानों में उन्हें बाँट दिया।

3. सिंचाई सुविधाओं का विकास – भारतीय कृषि ‘मानसून का जुआ’ कहलाती है। मानसून की अनिश्चित प्रकृति से किसानों को बचाने के लिए सरकार ने सिंचाई की अनेक परियोजनाओं का विकास किया है।

4. उन्नत बीजों का वितरण सरकार ने अधिक उपज देने वाली उन्नत किस्म के बीजों का विकास करने के लिए अनेक कृषि विश्वविद्यालय, शोध-संस्थान तथा प्रदर्शन फार्म स्थापित किये हैं।

5. पौध संरक्षण के लिए कीट – रोगनाशकों का प्रयोग – अनेक प्रकार के कृषि-रोगों, कीटों तथा टिड्डी दलों के निवारण के लिए रोग तथा कीटनाशकों को किसानों में बाँटने की व्यवस्था की है।

6. रासायनिक उर्वरकों का वितरण – सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन के लिए अनेक संयन्त्र (कारखाने) स्थापित किये हैं। इन उर्वरकों को सस्ते मूल्य पर किसानों को उपलब्ध कराया। जाता है।

7. कृषि का आधुनिकीकरण – कृषि के आधुनिकीकरण के लिए नये उपकरण तथा यन्त्र विकसित किये गये हैं। बड़े (समृद्ध) किसान इनका व्यापक रूप से प्रयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार की प्रौद्योगिकी; जैसे—शुष्क कृषि, बहुशास्य कृषि, अन्त:कृषि, फसलों का हेर-फेर इत्यादि विकसित की गयी हैं। इससे कृषि की उत्पादकता तथा उर्वरता में वृद्धि हुई है।

8. सहकारी सोसायटी तथा बैंकों का विकास – सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बहुउद्देशीय सहकारी समितियों तथा बैंकों की स्थापना की है, जिससे किसानों का कल्याण हो तथा उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध हो सके।

9. फसल बीमा योजनाएँ – किसानों को प्राकृतिक संकटों से उबारने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक प्रकार की फसल बीमा योजनाएँ चालू की गयी हैं।

10. समर्थन मूल्य – किसानों को ऋणदाताओं तथा दलालों द्वारा शोषण से बचाने के लिए कृषि मूल्य आयोग प्रति वर्ष विविध फसलों के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा करता है। भारतीय खाद्य निगम किसानों से सीधे खाद्यान्न खरीदता है।

यद्यपि भारतीय कृषि की दशा सुधारने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा अनेकानेक प्रयास किये गये हैं, तथापि ये सभी प्रयास उस स्तर तक सहायक नहीं हुए हैं कि भारतीय कृषि की स्थिति में पर्याप्त सुधार आ सके। उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी के स्तर को पाने के लिए इसमें और भी सुधार किये जाने चाहिए।



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