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गेहूं की खेती के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए। भारत में इसके वितरण का वर्णन कीजिए।यागेहूँ की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए तथा भारत में इसके उत्पादन क्षेत्र बताइए।याभारत में गेहूं की खेती का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए-1.अनुकूल भौगोलिक दशाएँ2.उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र3.उत्पादन।

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गेहूँ भारत की प्रमुख उपज तथा महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख खाद्यान्न फसल है। भारत विश्व का 10% गेहूं उत्पन्न कर पाँचवाँ स्थान बनाये हुए है। भारत की कृषि भूमि के 12.4% भाग तथा खाद्यान्न उत्पादन में लगी भूमि के 18.7% भाग पर गेहूँ की कृषि की जाती है। ‘हरित क्रान्ति’ ने भारत के गेहूँ उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि की है। इस क्षेत्र में भारत अब पूर्णत: आत्मनिर्भर हो चुका है तथा निर्यात करने की स्थिति में आ गया है। यहाँ  गेहूं का प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 2,750 किग्रा है।

अनुकूल भौगोलिक दशाएँ – गेहूं की उपज के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं

1. जलवायु – गेहूं समशीतोष्ण जलवायु की प्रमुख उपज है। इसकी कृषि के लिए निम्नलिखित जलवायु दशाएँ उपयुक्त रहती हैं

  • तापमान – गेहूँ की कृषि के लिए 10° से 25° सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। इसकी कृषि के लिए मौसम स्वच्छ होना चाहिए। पाला, कोहरा, ओला एवं तीव्र व शुष्क पवनें इसकी फसल को बहुत हानि पहुँचाती हैं।
  • वर्षा – गेहूँ की कृषि के लिए 50 से 75 सेमी तक वर्षा की आवश्यकता होती है। वर्षा धीरे-धीरे लगातार होती रहनी चाहिए। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई के द्वारा गेहूं का उत्पादन किया जाता है।

2. मिट्टी – गेहूँ की कृषि के लिए हलकी दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उत्तम मानी जाती है। इस मिट्टी में चूने तथा नाइट्रोजन के अंश का विद्यमान होना इसकी कृषि के लिए लाभदायक होता है। साथ ही मिट्टी समतल और भुरभुरी होनी चाहिए। अधिक उपज की प्राप्ति के लिए मिट्टी में कम्पोस्ट, यूरिया तथा अमोनियम सल्फेट आदि रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते रहना लाभप्रद रहता है।

3. मानवीय श्रम – गेहूँ उत्पादन के लिए अधिक मानवीय श्रम की आवश्यकता होती है। खेत जोतने, बोने, निराई-गुड़ाई करने, कटाई, गहाई आदि में पर्याप्त संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है, परन्तु जिन देशों में गेहूं उत्पादन में मशीनों का उपयोग किया जाता है, वहाँ मानवीय श्रम कम अपेक्षित होता है। भारत में मशीनों का प्रयोग कम किये जाने के कारण गेहूँ की कृषि सघन जनसंख्या वाले मैदानी भागों में की जाती है।

गेहूँ के उपज-क्षेत्र अथवा वितरण- उत्तर के विशाल मैदान में, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दोमट मिट्टी में गेहूं की अच्छी पैदावार होती है। देश के शेष भागों मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात तथा महाराष्ट्र के कुछ भागों में भी गेहूँ उगाया जाता है। इस प्रकार गेहूँ उत्तरी भारत की प्रमुख फसल है, जहाँ देश का 70% गेहूँ उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक राज्य है, जहाँ देश का 35.5% गेहूं उत्पन्न किया जाता है। पंजाब दूसरा बड़ा गेहूँ उत्पादक है, जो देश का 25% गेहूं उत्पन्न करता है। मध्य प्रदेश, हरियाणा तथा राजस्थान अन्य प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्य हैं।

गेहूँ का उत्पादन–वर्ष 1950-51 ई० में 97 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूँ की कृषि की गयी थी, जो बढ़कर 2004-05 ई० में 265 लाख हेक्टेयर हो गयी। इसी अवधि में गेहूं का उत्पादन 64 लाख टन से बढ़कर 720 लाख टन हो गया। गेहूँ की प्रति हेक्टेयर उपज भी 6.6 कुन्तल से बढ़कर 27.18 कुन्तल हो गयी। इस प्रकार इस अवधि में प्रति हेक्टेयर उत्पादन में लगभग चार गुना वृद्धि हुई। भारत में गेहूँ उत्पादन में वृद्धि एक सफल क्रान्ति है, जिसके फलस्वरूप वर्ष 2011-12 (अनुमानित) में 902.32 टन हो गया। विश्व के गेहूं उत्पादन में चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस एवं कनाडा के बाद भारत का पाँचवाँ स्थान है। भारत में हुई हरित क्रान्ति को वास्तव में गेहूँ क्रान्ति ही कहा जाना चाहिए।



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