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भारत में जूट की कृषि के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का वर्णन करते हुए उसके उत्पादन के क्षेत्रों पर प्रकाश डालिए।याभारत में जूट उद्योग का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए(क) उत्पादक क्षेत्र/राज्य तथा (ख) उत्पादन एवं व्यापार।याभारत में जूट उद्योग का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए-(i) स्थानीयकरण के कारक, (ii) प्रमुख केन्द्र।

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जूट एक प्रमुख व्यापारिक एवं मुद्रादायिनी फसल है। भारत में जूट की कृषि के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का विवरण निम्नवत् है

1. तापमान – जूट उष्ण कटिबन्धीय, उष्णार्द्र जलवायु की उपज है। इसके पौधों के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। इसके लिए प्रायः 25 से 35° सेल्सियस तापमान आवश्यक है। भारत की जलवायु इन दशाओं का निर्माण करती है।
2. वर्षा – जूट की कृषि के लिए उच्च तापमान के साथ-साथ अधिक नमी की भी आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए प्रायः 100 से 200 सेमी वार्षिक वर्षा आवश्यक है। जूट के पौधों की वृद्धि के समय वर्षा समान गति से लगातार होती रहनी चाहिए। वर्षा की ये दशाएँ भारत में उपलब्ध हैं।
3. मिट्टी – जूट की खेती के लिए उपजाऊ काँप या चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है। जूट का पौधा भूमि से अधिक पोषक तत्त्व ग्रहण करता है; अत: जूट की खेती नदियों के डेल्टाई भागों में की जाती है। भारत, में गंगा व ब्रह्मपुत्र के डेल्टाई भाग इसकी खेती के लिए अति उपयुक्त हैं। यहाँ नदियों की बाढ़े प्रतिवर्ष नयी उपजाऊ काँप मिट्टी जमा करती रहती हैं। इस मिट्टी में नमी की मात्रा अधिक होती है।
4. श्रमिक – भारत एक विशाल जनसंख्या वाला कृषिप्रधान देश है, जहाँ जूट बोने, गलाने, रेशा अलग करने, धोने तथा सुखाने के लिए श्रमिक बड़ी संख्या में सस्ती दर पर उपलब्ध हैं। यही कारण है कि जूट की खेती सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों; जैसे–पश्चिम बंगाल व बिहार में की जाती है।

उत्पादक क्षेत्र एवं उत्पादन – भारत में जूट का उत्पादक क्षेत्र निरन्तर बढ़ाया जा रहा है। भारत के जूट उत्पादक क्षेत्र वर्ष 1950-51 में 5.7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 1999-2000 में 8.5 लाख हेक्टेयर तक पहुँच चुका था। भारत में जूट उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं

1.पश्चिम बंगाल – जूट उत्पादन में पश्चिम बंगाल राज्य भारत में प्रथम स्थान रखता है। यहाँ बर्दवान, हुगली, हावड़ा, मुर्शिदाबाद, मिदनापुर, कूच-बिहार, चौबीस परगना, मालदा, नादिया, बाँकुडा आदि जिलों में जूट उगाई जाती है। यहाँ भारत का कुल 60% जूट पैदा किया जाता है।

2.बिहार – भारत का दूसरा प्रमुख जूट उत्पादक राज्य बिहार है। यहाँ चम्पारन, दरभंगा, पूर्णिया, सारन, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी तथा सन्थाल परगना जिलों में जूट की खेती की जाती है। यह देश के कुल उत्पादन का 15% जूट पैदा करता है।

3.असोम – असोम में ब्रह्मपुत्र नदी की निचली घाटी में जूट की खेती की जाती है। नुवगाँव, गोलपाड़ा, कछार, कामरूप आदि जिलों में मुख्य रूप से जूट उगाया जाता है। यहाँ कृषि योग्य भूमि के 95% भाग पर देश का लगभग 10% जूट पैदा किया जाता है।

अन्य जूट उत्पादक राज्य हैं–ओडिशा, मेघालय, त्रिपुरा, आन्ध्र प्रदेश तथा मध्य प्रदेश। इन सभी राज्यों में स्थानीयकरण के प्रमुख कारक उपर्युक्त भौगोलिक दशाओं का पाया जाना है। वर्तमान समय में भारत विश्व में 40% जूट का उत्पादन कर प्रथम स्थान बनाये हुए है। भारत में जूट का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1,907 किग्रा है। वर्ष 2004–05 में 96 लाख गाँठ (1 गाँठ = 180 किग्रा) तथा वर्ष 2011-12 में 110.00 लाख गाँठ (1 गाँठ = 180 किग्रा) जूट का उत्पादन किया गया था।



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