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 संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:दावाग्नि (दावानल)

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दावाग्नि यानी जंगलों में लगनेवाली आग, जो बड़े पैमाने पर तेजी से फैलकर विनाश करती है । दावाग्नि की घटना के लिए बिजली पड़ने के अलावा शेष सभी कारण मानवसर्जित है । सुलगती बीड़ी-सिगारेट या दियासलाई की तीली फेंकना, पर्यटकों-यात्रियों.या चरवाहों द्वारा सुलगती सामग्री छोड़ देना मुख्य है । दावाग्नि की संभावना शुष्क मौसम में पतझड़ के बाद के समय में अधिक रहती है ।

उस समय जंगल में सूखी घास और झरे हुए पत्ते ईंधन का काम करते हैं । यह परिस्थिति दावाग्नि के प्रसार के लिए उत्तरदायी है । पवन तथा ज्वलनशील ईंधन दोनों का सूखा होना दावाग्नि का मूल कारण है । यह परिस्थिति दावाग्नि के प्रसार के लिए उत्तरदायी है । गरमी, कम नमी तथा पवन चलनेवाले दिनों में जंगल में आग तेजी से फैलने की संभावना अधिक होती है ।

एकबार दावाग्नि लग जाने के बाद पवन की दिशा में 15 किमी/घण्टा की गति से आगे बढ़ने के साथ-साथ अपने चारों तरफ भी फैलती जाती है । दावाग्नि के एक बार लग जाने पर यदि मनुष्यों द्वारा बुझाने का प्रयत्न न हो तो वह मात्र दो संयोगों में ही रुकती है – या तो आग एकदम पूरी तरह से ठंडी हो जाए अथवा भारी वर्षा हो जाए



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