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संचार अथवा सन्देशवाहन के मुख्य साधनों का उल्लेख करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनके प्रभावों का उल्लेख कीजिए।याआर्थिक विकास में संचार के प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए तथा उनके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।याभारत के मुख्य संचार साधनों का उल्लेख कीजिए।यासंचार के माध्यमों में रेडियो तथा दूरदर्शन की उपयोगिता लिखिए।याभारतीय अर्थव्यवस्था पर परिवहन के साधनों के प्रभाव का उल्लेख कीजिए।यापरिवहन तथा संचार के विभिन्न साधनों को किसी राष्ट्र तथा उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखाएँ क्यों कहा जाता है ?याविश्व में भारत के बदलते स्तर का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए(i) परिवहन तथा (ii) दूरसंचार।यासंचार सेवाओं का अर्थ, प्रकार तथा महत्त्व बताइए।

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भारत में संचार (सन्देशवाहन) के मुख्य साधन सन्देशवाहन के साधनों से अभिप्राय उन साधनों से है जिनके द्वारा हम कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना भेजते हैं। भारत के मुख्य सन्देशवाहन के साधन निम्नलिखित हैं|

1. डाक सेवा – भारत में डाक सेवा का संचालन डाकघरों के माध्यम से भारत सरकार का केन्द्रीय संचार मन्त्रालय करता है। डाक-व्यवस्था के संचालन की सुविधा के लिए समस्त देश को 16 डाकसर्किलों में बाँटा गया है। डाक रेल, बस तथा वायुयान द्वारा ढोई जाती है। देश के लगभग सभी गाँवों में डाक सेवा की व्यवस्था कर दी गयी है। अब देश में लगभग 1.50 लाख से भी अधिक डाकघर हैं।

2. तार सेवाएँ – भारत में तार सेवा लगभग 142 वर्ष पुरानी है। देश के लगभग सभी नगरों तथा कस्बों में तारघरों की व्यवस्था कर दी गयी है। भारत में तारघर डाक विभाग के अन्तर्गत आते हैं। इस समय देश में 62,000 तारघर हैं। अब अंग्रेजी के अतिरिक्त हिन्दी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में भी तार भेजे जाने लगे हैं।

3. विदेशी तार (केबिलग्राम) – इसके अन्तर्गत तार की मोटी-मोटी लाइनें समुद्र के अन्दर बिछाई जाती हैं। फिर ऐसे बिछे हुए तारों द्वारा विदेशों को समाचार भेजे जाते हैं।

4. बेतार का तार – इस साधन द्वारा समाचार भेजने के लिए न तो भूमि पर तार के खम्भे गाड़ने पड़ते हैं। और ने समुद्र में तार बिछाने पड़ते हैं। इसके अन्तर्गत ट्रांजिस्टर जैसे वायरलेस यन्त्र की सहायता से वायु द्वारा ही समाचार भेज दिया जाता है।

5. टेलीफोन – टेलीफोन की सहायता से आप न केवल अपने देश के व्यक्तियों वरन् अन्य राष्ट्रों में रह . रहे व्यक्तियों से भी बातचीत कर सकते हैं। इस समय देश में लगभग 17 हजार टेलीफोन एक्सचेंज हैं। देश के 886 नगरों में एस०टी०डी० की सुविधा प्रदान की गयी है, जिसके अन्तर्गत सीधे डायल घुमाकर अन्य शहरों के व्यक्तियों से बातचीत की जा सकती है। विश्व के 178 देशों के साथ प्रत्यक्ष टेलीफोन सम्बन्ध स्थापित कर दिये गये हैं। वर्तमान में देश में फिक्स्ड लाइनें तथा सेल्युलर (मोबाइल) लाइनें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगा रही हैं, जिसमें मोबाइल फोन सेवाएँ फिक्स्ड लाइन सेवाओं से बहुत आगे हैं।

6. रेडियो रेडियो व ट्रांजिस्टर की सहायता से घर बैठे ही विश्वव्यापी घटनाओं का पता लग जाता है। व्यावसायिक विज्ञापन, आवश्यक घोषणाएँ, मनोरंजन के साधन आदि के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। इसका केन्द्रीय कार्यालय नयी दिल्ली में है, जिसे ‘आकाशवाणी’ के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में देश की 99% जनसंख्या तक इसकी पहुँच हो गयी है। रेडियो मनोरंजन का सस्ता और उत्तम साधन भी है।

7. टेलीविजन या दूरदर्शन – भारत में टेलीविजन सेवा का प्रारम्भ 15 सितम्बर, 1959 ई० को नयी दिल्ली में किया गया था। अब देश में दूरदर्शन केन्द्रों का जाल बिछा दिया गया है। प्रमुख शहरों में दूरदर्शन प्रसारण केन्द्र स्थापित किये गये हैं। राष्ट्रीय महत्त्व के प्रसारण उपग्रह संचार व्यवस्था द्वारा समस्त देश में एक साथ प्रसारित किये जाते हैं। यह राष्ट्रीय एकीकरण का एक सशक्त माध्यम है। दूरदर्शन के देश में 900 से अधिक ट्रांसमीटर हैं तथा 90% जनसंख्या तक इसकी पहुँच भी हो चुकी है।

8. टेलेक्स सेवा – राष्ट्रीय टेलेक्स सेवा सन् 1963 में प्रारम्भ की गयी थी। अब देश में लगभग 332 टेलेक्स एक्सचेंज कार्य कर रहे हैं। इनके द्वारा टेलीप्रिंटर की सहायता से मुद्रित सन्देशों का आदान-प्रदान किया जाता है। इस व्यवस्था द्वारा विदेशों को भी सन्देशों का आदान-प्रदान सम्भव है।

9. विदेश संचार सेवा भारत की अन्य देशों के साथ दूर-संचार सेवाएँ, समुद्र पार संचार सेवा (O.C.S.) नामक कार्यालय द्वारा संचालित होती हैं, जिसके मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई तथा नयी दिल्ली में चार केन्द्र हैं। इसके अन्तर्गत उपग्रह के माध्यम से विदेशी तार, टेलेक्स, टेलीफोन, रेडियो, फोटो आदि की सुविधाएँ प्राप्त होती हैं। सन् 1971 में पूना के निकट आर्वी तथा सन् 1976 में देहरादून में स्थापित दो उपग्रह भूकेन्द्रों की सहायता से ओ०सी०एस० कार्यालय हिन्द महासागर में स्थित इण्टेलसेट के माध्यम से विदेश संचार सेवाएँ प्रदान करता है।

10. -मेल – इस साधन ने संचार-व्यवस्था को उन्नति की चरम सीमा पर पहुंचा दिया है। अब संसार के किसी भी कोने से, किसी भी कोने में सन्देश भेजा जा सकता है। आपकी अनुपस्थिति में भी आपको भेजा गया सन्देश स्वीकृत हो जाता है। इस समाचार को आप पढ़ सकते हैं और आवश्यक कार्यवाही कर सकते हैं।

11. मुद्रण माध्यम – समाचार-पत्र तथा अन्य पत्र-पत्रिकाएँ जो दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक रूप से प्रकाशित की जाती हैं, प्रमुख मुद्रण-संचार माध्यम हैं। प्रेस रजिस्ट्रार द्वारा जारी सन् 2001 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विभिन्न भाषाओं में 52,000 से भी अधिक समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जा रहा था। ये देश की जनता, सरकार, व्यापार व उद्योग के बीच विचारों व सन्देशों के आदान-प्रदान के प्रभावी माध्यम हैं।

महत्त्व

संचार के साधनों का महत्त्व निम्नलिखित है

  • संचार के साधनों में रेडियो व दूरदर्शन देशवासियों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें शिक्षा भी प्रदान करते हैं।
  • संचार के साधन सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ जनता को जागरूक बनाने के सबसे प्रभावी माध्यम हैं।
  • संचार के साधनों के माध्यम से मौसम सम्बन्धी भविष्यवाणी प्रसारित की जाती है, जिससे कृषि, यातायात व अन्य क्षेत्रों में होने वाली क्षति कम हो गयी है।
  • संचार के साधन व्यापार एवं वाणिज्य के विकास में सहायक तो हैं ही, इनके द्वारा पिछड़े क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायता मिलती है।
  • संचार के माध्यमों द्वारा जन-सामान्य को आर्थिक व वैज्ञानिक प्रगति की जानकारी मिलती है तथा देश में वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान का प्रसार होता है।
  • संचार के साधन समाज के विभिन्न वर्गों को परस्पर जोड़ने का कार्य भी करते हैं। इससे राष्ट्रीय एकता का वातावरण निर्मित होता है।
  • संचार के साधनों द्वारा विचारों का विनिमय होता है। ये धन के स्थानान्तरण में भी सहायक हैं।
  • वर्तमान समय में संचार के साधनों द्वारा सर्वेक्षण, विज्ञापन, चेतावनी, परामर्श आदि दी जाने लगी हैं। इससे महामारियों पर नियन्त्रण पाने में भी सहायता मिली है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर परिवहन तथा संचार-साधनों का प्रभाव

परिवहन के प्रमुख साधन सड़कें, रेलमार्ग, वायुमार्ग तथा जलमार्ग हैं। ये साधन किसी भी राष्ट्र की धमनियाँ होते हैं। देश का आर्थिक तथा सामाजिक विकास इन्हीं साधनों पर निर्भर करता है। परिवहन तथा संचार के साधन राष्ट्र में एक ऐसा संगठन खड़ा कर देते हैं, जो लोगों की गतिशीलता, माल का परिवहन तथा समाचारों के आदान-प्रदान में सहायक हों। यदि कृषि एवं उद्योग-धन्धे किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में शरीर एवं हड्डियों की भाँति कार्य करते हैं तो परिवहन एवं संचार के साधन धमनियों तथा शिराओं की भाँति कार्य करते हैं। परिवहन एवं संचार-प्रणाली के ठप हो जाने से अर्थव्यवस्था मृतप्राय हो जाती है। इसीलिए इन्हें राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखाएँ कहा जाता है। राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में परिवहन तथा संचार के साधनों की भूमिका (प्रभाव) तथा महत्त्व निम्नलिखित हैं

1. आधुनिक औद्योगिक विकास के लिए परिवहन तथा संचार के साधन पहली आवश्यकता बन गये हैं। ये कच्चे माल को कारखानों तक तथा उनके द्वारा निर्मित माल को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने का कार्य करते हैं।

2. सड़कें, रेलें, जलमार्ग तथा वायुमार्ग परिवहन के विभिन्न साधन हैं, जब कि डाक-तार, रेडियो, टेलीविजन, दूरभाष, कृत्रिम उपग्रह आदि संचार के विभिन्न साधन हैं, जिन्होंने भावनात्मक एकता को बनाये रखकर देश में आर्थिक विकास की गति को बढ़ाया है।

3. परिवहन तथा संचार के साधन वस्तुओं के उत्पादन एवं वितरण में सहायक हैं। इनसे लोगों की गतिशीलता में वृद्धि होती है, जिससे वे अधिक धनोपार्जन कर सकते हैं तथा उन्हें भावनात्मक सन्तोष प्राप्त होता है।

4. परिवहन और संचार के द्रुतगामी एवं सूक्ष्म साधनों द्वारा आज पूरा संसार सिमटकर रह गया है। वह एक घर-परिवार की भाँति है, क्योंकि जब चाहें घर बैठे ही एक-दूसरे से बात कर सकते हैं अथवा कुछ ही घण्टों के अन्तराल में परस्पर मिल सकते हैं।

5. इन साधनों के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में हुए परिवर्तनों की जानकारी तुरन्त प्राप्त की जा सकती है। अत: लोगों की आपसी निर्भरता दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है।

6. परिवहन एवं संचार के साधनों द्वारा देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है, जिससे जीवन सुख-सुविधाओं से सम्पन्न और समृद्ध हो गया है।

7. ये साधन देश के आर्थिक जीवन को एकता के सूत्र में बाँधे हुए हैं तथा युद्ध, अकाल व महामारियों के समय अपनी सेवाओं के द्वारा इन आपदाओं से छुटकारा दिलाने में सहायक सिद्ध हुए हैं।

8. राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है तथा आर्थिक विकास की गति में भी तीव्रता आयी है।। इस प्रकार उपर्युक्त आधार पर कहा जा सकता है कि परिवहन तथा संचार के विभिन्न साधने राष्ट्र एवं उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखाएँ हैं।



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