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निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :एक गांव – गांव के बाहर रास्ते पर एक स्कूल – विद्यार्थियों का पढ़ने आना – एक विद्यार्थी का परीक्षा में हैं चोरी करने का इरादा – पढ़ाई में ध्यान न देना – प्रथम परीक्षा में हैं चोरी का मौका न मिलना – अनुत्तीर्ण होना – पछतावा होना – चोरी न करने का संकल्प – पढ़ाई में जुट जाना – अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होना- जीवन धन्य होना-चोरी न करने का इनाम।

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संकल्प का बल

चंद्रपुर नाम का एक गाँव था। गांव के बाहर से पक्की सड़क : गुजरती थी। उसी के निकट एक स्कूल था। जिसमें चंद्रपुर के ही नहीं, आसपास के गांवों के लड़के पढ़ने आते थे।

सुरेश उसी स्कूल में सातवीं कक्षा का विद्यार्थी था। उसका मन : पढ़ाई में नहीं लगता था। खेल-कूद और साथियों के साथ गप्पाबाजी : से ही उसे फुरसत नहीं मिलती थी। उसके माता-पिता बहुत साधारण स्थिति के थे। सुरेश उनकी इकलौती सन्तान था।

कुछ ही समय में प्रथम परीक्षा आ गई। सुरेश ने पढ़ाई तो की नहीं थी, पर उसे अपनी चालाकी पर बहुत भरोसा था। उसने परीक्षा में नकल करके पास होने का निश्चय कर लिया। परंतु परीक्षा में निरीक्षक की नजर बहुत तेज थी। सुरेश को नकल करने का मौका ही नहीं मिला। वह परीक्षा में बुरी तरह अनुत्तीर्ण हो गया। इससे उसके माता-पिता बहुत दु:खी हुए। उन्हें दुःखी देखकर सुरेश को भी बहुत पछतावा हुआ।

सुरेश ने संकल्प किया कि अब वह परीक्षा में कभी चोरी नहीं करेगा और मेहनत से पढ़ाई करके ही उत्तीर्ण होगा। बस, फिर क्या था! वह दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुट गया। अगली परीक्षा में वह अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुआ। उसके माता-पिता को बहुत प्रसन्नता हुई।

सफलता पाकर सुरेश को भी अपना जीवन धन्य लगा। सुरेश को लगा कि यह सफलता वास्तव में उसके परीक्षा में चोरी न करने के संकल्प का ही इनाम है।

बोध : सचमुच, दृढ़ निश्चय और परिश्रम से असंभव को भी संभव किया जा सकता है।



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