1.

मत्स्य व्यवसाय के प्रमुख क्षेत्र कहाँ-कहाँ हैं ? इनका विवरण दीजिए।याभारत में मत्स्य व्यवसाय की समीक्षा कीजिए।

Answer»

मत्स्य-पालन भारत के प्रमुख प्राथमिक व्यवसायों में से एक है। देश के पास 20 लाख वर्ग किमी का विस्तृत मत्स्य संग्रह क्षेत्र है, जिससे बड़ी मात्रा में मछलियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। भारत के पास विशाल जलमग्न तट, सक्रिय समुद्री धाराएँ तथा विशाल नदियाँ हैं, जो समुद्र में मछलियों को भोज्य सामग्री पहुँचाती हैं। इन अनुकूल प्राकृतिक परिस्थितियों के कारण भारत में मत्स्य-व्यवसाय का भविष्य उज्ज्वल है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 60 लाख लोग मात्स्यिकी क्षेत्र के रोजगार में लगे हुए हैं।

भारत में दो प्रकार के मत्स्य संसाधन उपलब्ध हैं-आन्तरिक या ताजा मत्स्य क्षेत्र (यमुना, शारदा, गंगा आदि नदियाँ, झीलें व तालाब) तथा सागरीय मत्स्य क्षेत्र। वर्ष 1950-51 से 2000-01 की अवधि में आन्तरिक मत्स्य क्षेत्र में चौदह गुना वृद्धि हुई है, जब कि सागरीय मत्स्य क्षेत्र में पाँच गुना। मत्स्य व्यवसाय ने लोगों को रोजगार के अवसर तथा आय के साधन उपलब्ध कराये हैं। वर्ष 2003-04 में देश को मछलियों के निर्यात से १ 5,739 करोड़ की विदेशी मुद्रा भी प्राप्त हुई। वर्तमान में विश्व के मत्स्य उत्पादक देशों में भारत का चौथा स्थान है। केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल प्रमुख मत्स्योत्पादक राज्य हैं। भारत में मत्स्य व्यवसाय भी अनेक समस्याओं से घिरा हुआ है, जिन्हें दूर करने के लिए भारत सरकार अनेक उपाय कर रही है। इन उपायों में मछुआरों को आर्थिक तथा वित्तीय सहायता, विशाल मत्स्य नौकाओं की व्यवस्था, मछलियों के संग्रह हेतु शीतगृहों की सुविधाएँ आदि प्रमुख हैं।

सरकार समय-समय पर पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा मत्स्य उद्योग को प्रोत्साहन देती रही है। पिछले कुछ वर्षों में मछली उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हुई है। मछली उद्योग के वैज्ञानिक विकास तथा अनुसन्धान के लिए 1961 ई० में बम्बई (अब मुम्बई) में एक केन्द्रीय मछली शिक्षण संस्थान खोला गया तथा समुद्री मछलियों के अध्ययन के लिए एक अनुसन्धानशाला भी स्थापित की गयी। इस प्रकार कहा जा सकता है कि देश का मछली व्यवसाय धीरे-धीरे विकसित हो रहा है।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions