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भारत में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए।याभारत में जनसंख्या के असमान वितरण को प्रभावित करने वाले तीन कारणों का वर्णन कीजिए।याभारत में जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों का उल्लेख कीजिए।

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जनसंख्या के वितरण-घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व पर निम्नलिखित कारकों का प्रभाव पड़ता है

1. आवागमन के साधनों की सुविधा – जनाधिक्य के लिए आवागमन के साधने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; उदाहरणार्थ-गंगा के मैदान या तटीय मैदानों अथवा डेल्टा प्रदेशों में जहाँ नगरों, सड़कों , एवं रेलमार्गों का जाल-सी बिछा होता है, वहाँ जनसंख्या अधिक होती है। पश्चिमी राजस्थान एवं दक्षिण प्रायद्वीप की उच्च भूमि पर आवागमन के साधनों की कमी के कारण जनसंख्या कम होती है।

2. स्वास्थ्यकर जलवायु – जनसंख्या वृद्धि के लिए किसी प्रदेश की जलवायु का स्वास्थ्यवर्द्धक होना अति आवश्यक है। यही कारण है कि जिन भागों में वर्षा अधिक होती है, वहाँ मलेरिया अथवा बुखार फैला रहता है; अत: वहाँ जनसंख्या बहुत ही कम निवास करती है।

3. सुरक्षा – जन-घनत्व जीवन तथा धन-सम्पत्ति की सुरक्षा पर भी निर्भर करता है। जिन क्षेत्रों में सघन वन हैं, जंगली-हिंसक पशु निवास करते हैं अथवा चोर-डाकुओं का भय बना रहता है, वहाँ पर बहुत कम लोग निवास करते हैं। इसके विपरीत जहाँ जान-माल की सुरक्षा होती है, वहाँ अधिक मानव निवास करना पसन्द करते हैं।

4. उपजाऊ भूमि – भारत में सबसे अधिक जनसंख्या उपजाऊ समतल मैदानों, नदियों की घाटियों या डेल्टाओं में निवास करती है; क्योंकि इन क्षेत्रों की उपजाऊ भूमि उन्हें पर्याप्त खाद्यान्न एवं जीविकोपार्जन के साधन प्रदान करती है। यही कारण है कि भारत में जनसंख्या का घनत्व उत्तर के विशाल मैदान और पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में अधिक पाया जाता है।

5. तापमान – अत्यधिक गर्म या अत्यधिक शीतप्रधान क्षेत्रों में जनसंख्या कम निवास करना पसन्द करती है। यही कारण है कि भारत के सामान्य तापमान वाले प्रदेशों में घनी जनसंख्या निवास करती है। इसके विपरीत न्यून ताप वाले, उच्च ताप पर्वतीय भागों अथवा अत्यधिक ताप वाले थार के मरुस्थल में कम जनसंख्या निवास करती है।

6. उद्योग-धन्धे – उद्योग-धन्धे जनसंख्या के वितरण को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। उद्योग-धन्धों वाले क्षेत्रों में लोग रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से दूर-दूर से आकर बस जाते हैं। फलत: इन क्षेत्रों में जनसंख्या को अत्यधिक केन्द्रीकरण होता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु राज्य उद्योग-धन्धों के कारण ही घने बसे हुए हैं।

7. खनिज पदार्थ – जिन राज्यों में कोयला, लोहा, ताँबा, सोना, खनिज तेल आदि उपयोगी एवं बहुमूल्य खनिज पदार्थ निकाले जाते हैं, वहाँ जनसंख्या का घनत्व भी अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है। भारत में छोटा नागपुर का पठार, बिहार, ओडिशा तथा तमिलनाडु राज्यों में जैसे-जैसे खनिज पदार्थों का खनन होता गया वैसे-वैसे जनसंख्या के घनत्व में निरन्तर वृद्धि होती गयी है।

8. धरातल – धरातलीय बनावट एवं उसकी प्रकृति भी जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करती है। ऊँचे, असमतल, पर्वतीय तथा पठारी क्षेत्रों की अपेक्षा मैदानी क्षेत्रों में घनी जनसंख्या पायी जाती है। यही कारण है कि प्रायद्वीपीय भारत की अपेक्षा उत्तर के विशाल मैदान में जनसंख्या का जमघट पाया जाता है। समतल मैदानी क्षेत्र जनसंख्या का पालना कहे जाते हैं।

9. वर्षा की मात्रा (जल-उपलब्धता) – भारत जैसे कृषिप्रधान देश में जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व वर्षा की मात्रा अथवा जल उपलब्धता से भी प्रभावित होता है। यही कारण है कि 100 सेमी वर्षा रेखा के पश्चिमी भाग वर्षा की कमी के कारण कम घने हैं, जब कि इसके पूर्वी भाग कम वर्षा वाले होते हुए भी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध रहने के कारण घने बसे हुए हैं।



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