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बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।

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बड़प्पन वही है जिसमें उदारता हो, परोपकार की भावना हो। केवल अधिक धन-दौलत से ही कोई बड़ा नहीं हो जाता। खजूर का पेड़ बहुत ऊंचा होता है। भूखे पथिक को न उसके फल खाने को मिलते हैं और न थके राही को वह पर्याप्त शीतल छाया दे पाता है। उसके ऊँचा होने से किसी को कोई लाभ नहीं होता। कवि बड़ा उसी को कहते हैं जो दूसरों का भला करे और परोपकार में ही अपने जीवन की सार्थकता अनुभव करे।



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