This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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आज मनुष्य की वृत्ति व प्रवृत्ति दोनों ही भ्रष्ट क्यों हो गई है ? |
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Answer» आधुनिक जीवन में धन जीवन को नियंत्रित करनेवाली शकित होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति धनोपार्जन में व्यस्त है। गरीब अपनी जीविका चलाने के लिए तो अमौर अधिक अमीर बनने धन कमाने में जुटे हुए है। इसलिए आज मनुष्य की वृत्ति और प्रवृत्ति दोनों ही भ्रष्ट हो गई हैं। |
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मनुष्य कब तक अमीर था? |
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Answer» जब तक पैसों की खोज नहीं हुई थी, तब तक मनुष्य अमीर था। |
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गरीब अपनी जीविका चलाने के लिए …(अ) धनोपार्जन में लगा है।(ब) चोरी करता है।(क) मां-बाप को वृद्धाश्रम में भेज देता है। |
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Answer» गरीब अपनी जीविका चलाने के लिए धनोपार्जन में लगा है। |
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पोम्पीनगर के खंडहरों में से किसकी मुट्ठी में सोना मिला? |
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Answer» पोम्पीनगर के खंडहरों में से नर कंकाल की मुट्ठी में है सोना मिला। |
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‘पहले त्याग द्वारा आनंद की प्राप्ति होती थी पर अब भोगने के बाद फेंक देना’ – मूल मंत्र हो गया है । |
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Answer» त्याग और भोग एक-दूसरे के विपरीतार्थक शब्द हैं। पहले हमारे देश में त्याग की भावना प्रमुख थी। हमारे देश के महापुरुषों ने त्याग का मार्ग अपनाया था और उन्होंने देश और समाज के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था और अपना सर्वस्व त्याग दिया था। |
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तृष्णा को परंपरागत डाकूरानी क्यों कहा गया है ? |
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Answer» डाकू का उद्देश्य किसी भी प्रकार से दूसरे का माल असबाब लूटना होता है, इसी तरह अप्राप्य वस्तु को पाने की तीव्र इच्छा तृष्णा का उद्देश्य भी येन केन प्रकारेण वांछित वस्तु पाना है। इसमें इन्हें कोई बुराई नजर नहीं आती। इस तरह डाकू और तृष्णा में कोई अंतर नहीं ६ होता, इसीलिए तृष्णा को परंपरागत डाकूरानी कहा गया है। |
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तृष्णा को क्या कहा है?A. परंपरागत डाकूरानीB. डाकूC. भलाD. बुरा |
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Answer» A. परंपरागत डाकूरानी |
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तृष्णा क्या है? |
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Answer» तृष्णा परंपरागत डाकूरानी है। |
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भारत के महापुरुषों को कीचड़ में खिलने वाले कमल क्यों कहा है ? |
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Answer» भारत में अनेक महापुरुष हुए हैं। उन्होंने गरीबी, अभाव और कठिनाइयों में अपने जीवन की शुरुआत की थी। इसके बावजूद उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में अपना मूल्यवान योगदान दिया है। धन की समस्या कभी उनके आड़े नहीं आई। धन के लिए उन्होंने कभी ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे उनको लज्जित होना पड़ा हो। धन के लालच में उन्होंने कभी अपनी नीयत खराब नहीं की। उनके प्रदेय जगआहिर हैं। अभावों और कठिनाइयों से जूझकर उन्होंने ऐसे कार्य कर दिखाए, जिनके बल पर वे महापुरुष कहलाए। इसीलिए उन्हें कीचड़ में से निकलनेवाले कमल कहा गया है। |
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| 10. |
केवल धन से आदमी को …(अ) सम्मान मिलना मुश्किल होता है।(ब) नौकरी नहीं मिल सकती।(क) विदेश नहीं जाना मिलता। |
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Answer» केवल धन से आदमी को सम्मान मिलना मुश्किल होता है। |
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| 11. |
त्याग और भोग ….(अ) एक-दूसरे के विपरीतार्थक शब्द है।(ब) एक-दूसरे के परस्पर है।(क) एक-दूसरे के लिए बने शब्द है। |
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Answer» त्याग और भोग एक-दूसरे के विपरीतार्थक शब्द है। |
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जब लोग अमीर बनने की कुत्रिम चाँव में फंस जाते हैं, …(अ) तब गरीब बन जाते हैं।(ब) तब कुत्रिमता आ जाती है।(क) तब वे अंत:करण की अमीरी की सुगंध खो देते हैं। |
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Answer» जब लोग अभीर बनने की कुत्रिम चौब में फंस जाते हैं, तब वे अंत:करण की अमीरी की सुगंध खो देते हैं। |
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| 13. |
भलाई करनेवाले व्यक्ति की सभी क्या करते हैं?A. बुराईB. प्रशंसाC. गिनतीD. अप्रशंसा |
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Answer» सही विकल्प है B. प्रशंसा |
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लोग अंत:करण की अमीरी की सुगंध कब खो देते हैं ? |
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Answer» जब लोग अमीर बनने के कृत्रिम चाव में फस जाते हैं, तब वे अंत:करण की अमीरी की सुगंध खो देते हैं। |
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सुख का जादूगर और शांति का डकैत कौन-सा है ? |
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Answer» धन सुख का जादूगर और शांति का डकैत है। |
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इनमें से वनस्पतिविज्ञान का महान पंडित कौन बन गया ?(अ) विवेकानंद(ब) दयानंद(क) डंकन(ड) श्री अरविंद |
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Answer» सही विकल्प है (क) डंकन |
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आज जीवन का नियंत्रक परिबल कौन है ? |
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Answer» आज जीवन का नियंत्रक परिबल धन है। |
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आज वास्तविक धन कौन-कौन-से गुण में हैं ? क्यों ? |
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Answer» आज वास्तविक धन मनुष्य के सहदयता, आत्मीयता, आशा, उल्लास तथा प्रेम आदि गुणों में हैं। इन गुणों के द्वारा जो धन प्राप्त होता है, वह चिरस्थायी होता है। जबकि द्रव्य के रूप में कठिन परिश्रम से अर्जित किया गया धन स्थायी नहीं होता। |
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‘धन सुख का जादूगर भी है और शांति का डकैत भी ।’ |
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Answer» सुखमय जीवन जीने के लिए धन बहुत जरूरी है। धन से तरह-तरह की सुख-सुविधा की चीजें खरीदी जा सकती हैं। मनुष्य जादू की गति से ऐशो-आराम की जिंदगी जी सकता है। पर धन का एक दोष भी है। धन आने पर मनुष्य की अधिक-से-अधिक धन प्राप्त करने की तृष्णा बढ़ती जाती है। वह किसी भी तरह से अधिक-से-अधिक धन एकत्र करने का प्रयास करने में जुट जाता है। इससे मनुष्य की शांति गावव हो जाती है। उसका मन अशांत हो जाता है। वह धन के पीछे पागलों की तरह भागने लगता है। इसीलिए कहा गया है कि ‘धन सुख का जादूगर भी है और शांति का डकैत भी।’ |
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अमीर धन कैसे कमाता है ? |
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Answer» लेखक के अनुसार अमीर दूसरों को उल्लू बनाकर धन कमाता है। |
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तृष्णाएं बढ़ने पर क्या समाप्त हो जाता है? |
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Answer» तृष्णाएं बढ़ने पर मनुष्य की नेकी समाप्त हो जाती है। |
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वनस्पति-विज्ञान के महान पंडित का नाम क्या था? |
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Answer» वनस्पति-विज्ञान के महान पंडित का नाम डंकन था। |
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किसके बढ़ने पर जीवन-भक्ति कम हो जाती है ?(अ) द्रव्य-भक्ति(ब) तरल-भक्ति(क) धन-भक्ति(ड) प्रभु-भक्ति |
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Answer» सही विकल्प है (अ) द्रव्य-भक्ति |
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‘बाहर ही नहीं अंदर से श्रीमंत अथवा अमीर बनना ही पैसा पचाने की कला है ।’ समझाइए । |
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Answer» धन कमाने पर आदमी श्रीमंत अथवा अमीर बनता है। इससे वह दुनिया में सम्मानपूर्वक जीना चाहता है। लेकिन केवल धन से ही आदमी को सम्मान मिलना मुश्किल होता है। आदमी को सम्मान तभी मिलता है, जब वह बाहर और अंदर दोनों से धनवान बने। अर्थात् व्यक्ति को ऊपर से श्रीमंत होने के साथ-साथ उदार भी होना चाहिए। उसे अपने धन से गरीबों और असहाय लोगों की सहायता करनी चाहिए। तभी आदमी बाहर और अंदर दोनों से श्रीमंत कहा जा सकता है। तभी उसके पैसे का सदुपयोग होता है। जब वह बाहर-अंदर दोनों तरफ से श्रीमंत या अमीर होता है, तभी वह अपने पैसे को पचाने अथवा उसका सही उपयोग करने में समर्थ होता है। पैसा पचाने यानी उसका सदुपयोग करने की यही कला है। |
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धावा बोलकर माल असबाब लूट लेना, किसका उद्देश्य है?A. व्यक्ति काB. भले व्यक्ति काC. डाकू काD. पुरुषों का |
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Answer» सही विकल्प है C. डाकू का |
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पोम्पीनगर के खंडहरों से मिले एक नर-कंकाल की मुट्ठी में क्या था ?(अ) चाँदी(ब) सोना(क) मोती(ड) हीरा |
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Answer» सही विकल्प है (ब) सोना |
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व्यापारी ने अपनी अंतिम साँस लेते समय रुपयों की थैली मजबूती से हाथ में क्यों पकड़ रखी थी ? |
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Answer» तृष्णातुर मनुष्य की तृष्णा अंतिम सांस तक उसका पीछा करे रहती है, यह तृष्णापूर्ति धन से होती है। व्यापारी के मन में अंतिम समय तक अपनी इच्छाओं की पूर्ति की उम्मीद थी। इसलिए अंतिम सांस लेते समय भी रुपयों की थैली उसने मजबूती से हाथ में पकड़ रखी थी। |
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मनुष्य अंदर से कब तक अमीर था ?(अ) विज्ञान की खोज नहीं हुई थी तब तक(ब) टी.वी. को खोज नहीं हुई थी तब तक(क) टेलिफोन की खोज नहीं हुई थी तब तक(ड) पैसों की खोज नहीं हुई थी तब तक |
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Answer» (ड) पैसों की खोज नहीं हुई थी तब तक |
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डंकन वनस्पतिशास्त्र का महापंडित कैसे बना ? |
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Answer» डंकन स्कॉटलैंड में रहनेवाले एक गरीब बुनकर का पुत्र था। वह अनपढ़, अशक्त, कुबड़ा था तथा कंगाल परिवार से था। उसे बच्चे चिढ़ाते थे। वह दोर चराने का काम करता था और उसका मालिक उस पर बहुत अत्याचार करता था। सोलह साल की उम में उसने मूलअक्षर सीखना शुरू किया था। फिर वह जल्दी-जल्दी पढ़ना लिखना सीखता गया। जंगल में घूमने के कारण उसे पहले से वनस्पतियों की जानकारी थी। उसने वनस्पतिशास्त्र का ग्रंथ खरीदकर वनस्पतिशास्त्र का गहरा अध्ययन किया और इस विषय का महापंडित बन गया। |
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धन ही जीवन का नियंत्रक ……. है।A. परिबलB. गहनाC. मामलाD. संबंध |
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Answer» सही विकल्प है A. परिबल |
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‘आज जीवन में धन ही जीवन का नियंत्रक परिबल बन गया है ।’ |
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Answer» आज के जमाने में धन बहुत महत्त्वपूर्ण हो गया है। चाहे छोटा काम हो या बड़ा, बिना धन के उसे पूरा नहीं किया जा सकता। गरीब आदमी को अपना और अपने परिवार का पेट पालने और तन दकने के लिए धन की आवश्यकता होती है। अमीर आदमी को और अधिक अमीर बनने के लिए धन की जरूरत होती है। आज के मनुष्य की वृत्ति और प्रवृत्ति दोनों ही भ्रष्ट हो गई हैं। इस तरह आज धन ही जीवन का नियंत्रक परिबल बन गया है। |
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पोम्पीनगर के खंडहरों के कंकाल और एक व्यापारी के हाथ में अंतिम समय तक क्या था ? क्यों ? |
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Answer» पोम्पीनगर के खंडहरों में खुदाई करते समय एक नरकंकाल मिला था। उसकी मुट्ठी को बड़ी मुश्किल से खोला जा सका। मुट्ठी खुलने पर पता चला कि मृत व्यक्ति की मुट्ठी में सोना था। ठीक इसी प्रकार इसी शहर के एक व्यापारी ने अपनी अंतिम सांस लेते समय तकिए के नीचे से पैसों से भरी हुई थैली बाहर निकाली थी। जब तक उसके प्राण निकल नहीं गए, तब तक उसने उसे मजबूती से पकड़ रखा था। इससे उनमें धन के प्रति मोह की भावना दिखाई देती है, जिन्हें वे हमेशा संभालकर रखना चाहते थे। |
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डंकन स्कॉटलैंड में रहनेवाले एक ….(अ) गरीब बहन का भाई था।(ब) गरीब बुनकर का पुत्र था।(क) गरीब मजदूर का बेटा था। |
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Answer» डंकन स्कॉटलैंड में रहनेवाले एक गरीब बुनकर का पुत्र था। |
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लेखक के अनुसार ‘तृष्णा’ परंपरागत डाकूरानी क्यों है? |
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Answer» डाकू का उद्देश्य केवल एक ही होता है। धावा बोलकर किसी भी कीमत पर दूसरे का माल-असबाब लूट लेना। इसमें उसे कोई बुराई नजर नहीं आती। अप्राप्य वस्तु को पाने की तीव्र इच्छा का नाम तृष्णा है। इस स्थिति में भी मनुष्य येन-केन प्रकारेण वांछित वस्तु पा लेने का दुर्गम प्रयास करता है और उसमें भलाई-बुराई का विवेक नहीं रह जाता। इस तरह किसी डाकू और तृष्णा में कोई अंतर नहीं होता। इसीलिए तृष्णा को परंपरागत डाकूरानी कहा गया है। |
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गरीब को पेट भरने के लिए किसकी जरूरत होती है? |
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Answer» गरीब को पेट भरने के लिए अन्न की जरूरत होती है। |
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लेखक के अनुसार डंकन के जीवन से क्या संदेश मिलता है? |
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Answer» जॉन डंकन स्कॉटलैंड के रहनेवाले एक गरीब बुनकर के पुत्र थे। अपनी प्रबल इच्छाशक्ति और प्रयास से वे वनस्पतिशास्त्र के महापंडित बन गए। उनकी प्रतिभा और खराब आर्थिक स्थिति को देखकर अनेक लोगों ने उन्हें बड़ी-बड़ी रकम के चैक भेजे। पर डंकन ने उस धन का उपयोग अपने लिए कभी नहीं किया। उन्होंने यह सारा धन प्राकृतिक-विज्ञान का अध्ययन करनेवाले गरीब विद्यार्थियों की सहायता, १ स्कॉलरशिप तथा पारितोषिक के लिए दान कर दिया। उनके जीवन से यह संदेश मिलता है कि धन का उपयोग गरीबों की सहायता तथा अच्छे कार्यों के लिए करना चाहिए। |
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डंकन के जीवन से क्या संदेश मिलता है ? |
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Answer» डंकन एक गरीब बुनकर के पुत्र होने के बावजूद अपनी प्रबल इच्छाशक्ति से वनस्पतिशास्त्र के विद्वान बने। उनकी प्रतिभा और खराब आर्थिक स्थिति को देखकर अनेक लोगों ने उनको बड़ी-बड़ी रकम के चैक भेजे वह पैसे डंकन ने प्राकृतिक विज्ञान के विद्यार्थियों के कल्याण में लगा दिये। उनके जीवन से यह संदेश मिलता है कि धन का उपयोग गरीबों की सहायता तथा अच्छे कार्यों के लिए करना चाहिए। |
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