|
Answer» शीर्षक का नाम : “भक्ति पद’ है। कवि का नाम : “रैदास है। - रैदास की चौपाइयों में समर्पण की भावना, दास्य भक्ति को अधिक महत्व दिया गया है।
- रैदास अपनी भक्ति के बारे में कहते हैं कि – हे प्रभू ! तुम चंदन हो तो मैं पानी हूँ।
- हे प्रभू ! तुम बादल हो तो मैं मोर हूँ।
- बादल रूपी भगवान को मोर रूपी भक्त देखता रहता है।
- प्रभू जी ! तुम मोती हो तो मैं धागा हूँ।
- आप से मिलने से मेरी सुंदरता बढ़ती है।
- प्रभुजी, तुम स्वामी हो तो मैं दास हूँ।
- इस प्रकार कवि रैदास जी ने अपने प्रभु के प्रति अपनी दास्य भक्ति दिखायी।
|