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Answer» प्राकृतिक वनस्पति से हमें कई प्रत्यक्ष तथा परोक्ष लाभ होते हैं। प्रत्यक्ष लाभ-प्राकृतिक वनस्पति से होने वाले प्रत्यक्ष लाभों का वर्णन इस प्रकार है — - वनों से हमें कई प्रकार की लकड़ी प्राप्त होती है। जिसका प्रयोग इमारतें, फ़र्नीचर, लकड़ी-कोयला आदि बनाने में होता है। इसका प्रयोग ईंधन के रूप में भी होता है।
- खैर, सिनकोना, कुनीन, बहेड़ा व आंवले से कई प्रकार की औषधियां तैयार की जाती हैं।
- मैंग्रोव, कंच, गैम्बीअर, हरड़, बहेड़ा, आंवला और कीकर आदि के पत्ते, छिलके व फलों को सुखाकर चमड़ा रंगने का पदार्थ तैयार किया जाता है।
- पलाश व पीपल से लाख, शहतूत से रेशम, चंदन से तुंग व तेल और साल से धूपबत्ती व बिरोजा तैयार किया जाता है।
परोक्ष लाभ-प्राकृतिक वनस्पति से हमें निम्नलिखित परोक्ष लाभ होते हैं- - वन जलवायु पर नियन्त्रण रखते हैं। सघन वन गर्मियों में तापमान को बढ़ने से रोकते हैं तथा सर्दियों में तापमान को बढ़ा देते हैं।
- सघन वनस्पति की जड़ें बहते हुए पानी की गति को कम करने में सहायता करती हैं। इससे बाढ़ का प्रकोप कम हो जाता है। दूसरे जड़ों द्वारा रोका गया पानी भूमि के अन्दर समा लिए जाने से भूमिगत जल-स्तर (Water-table) ऊंचा उठ जाता है। वहीं दूसरी ओर धरातल पर पानी की मात्रा कम हो जाने से पानी नदियों में आसानी से बहता रहता है।
- वृक्षों की जड़ें मिट्टी की जकड़न को मज़बूत किए रहती हैं और मिट्टी के कटाव को रोकती हैं।
- वनस्पति के सूखकर गिरने से जीवांश के रूप में मिट्टी को हरी खाद मिलती है।
- हरी-भरी वनस्पति बहुत ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती है। इससे आकर्षित होकर लोग सघन वन क्षेत्रों में यात्रा, शिकार तथा मानसिक शान्ति के लिए जाते हैं। कई विदेशी पर्यटक भी वन-क्षेत्रों में बने पर्यटन केन्द्रों पर आते हैं। इससे सरकार को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
- सघन वन अनेक उद्योगों के आधार हैं। इनमें से कागज़, लाख, दियासिलाई, रेशम, खेलों का सामान, प्लाईवुड, गोंद, बिरोज़ा आदि उद्योग प्रमुख हैं।
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