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नवोन्मूलन प्रक्रिया में झूम - कृषि को समझाइए । |
| Answer» मानव के अनेक कार्य वनों के उन्मूलन में सहायक होते है । वनोन्मूलन का मुख्य कारण है कि वन प्रदेश को कृषि भूमि में बदला जा रहा है जिससे कि मनुष्य कि बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भोजन उपलब्ध हो सके । वृक्ष , इमारती लकड़ी (Timber), काष्ठ - ईंधन के लिए भी वनों को काटा जाता है । इसके अतिरिक्त वनों का विनाश झूम - कृषि में भी किया जाता है । आमतौर पर भारत के उत्तरी पूर्वी राज्यों व राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में इस प्रकार की कृषि की जाती है । इस कृषि में आदिवासी व्यक्ति कुछ क्षेत्र के वनों को काटते है व जलाने के पश्चात राख का प्रयोग उर्वरक के रूप में तथा भूमि का उपयोग कृषि के रूप में किया जाता है । दो - तीन वर्षों तक खेती करने के बाद उस स्थान को खाली छोड़ देते है ताकि पुनः उर्वर हो जाए। ये कृषक या आदिवासी पुनः वन के अन्य क्षेत्रों का चयन कर उसे काटते है व जलाते है तथा कृषि हेतु पुनः वही प्रक्रिया अपनाते है अर्थात स्थान बदलते रहते है तथा वनों को नष्ट करते रहते है , इस कारण इसे स्थानांतरित कृषि भी कहते है । इसका सर्वाधिक प्रभाव के विकास पर पड़ता है । | |