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नागरिक के कर्तव्य पर निबन्ध लिखें।

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प्रत्येक नागरिक अपने जीने के लिए सदा कुछ अधिकारों की इच्छा रखता है। उसे यह भी जानना होगा कि अधिकारों की माँग के साथ-साथ कुछ कर्तव्यों का भी पालन करना पड़ता है। यह बात एक परिवार, एक समाज, एक गाँव या शहर तथा एक देश के लिए भी लागू होती है।

भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ। हम स्वतंत्र देश के नागरिक हैं। जब हम गुलाम थे, तो न हमें कोई अधिकार था और न कोई कर्तव्य । अब हम स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक होने के नाते हमें कुछ मौलिक अधिकार मिले हैं, तो कुछ मौलिक कर्तव्य भी।

अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू के समान हैं। बिना कर्तव्य के अधिकार का कोई महत्व नहीं है। कर्तव्य अधिकार का एक अभिन्न अंग है। जो किसी एक व्यक्ति के लिए कर्तव्य है, वही दूसरे के लिए अधिकार है।

भारतीय संविधान के भाग-4क, अनुच्छेद 51 क में मूल कर्तव्य शामिल किए गए हैं। इसके अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह –

  • संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे;
  • स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे;
  • भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे;
  • देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;
  • भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो; ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है;
  • हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे;
  • प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखे।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे;
  • सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे;
  • व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयाँ को छू ले;
  • यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे।

उपर्युक्त नागरिक कर्तव्यों का पालन कराने या उनका उल्लंघन होने पर दंड देने के लिए संविधान में कोई उपबंध नहीं है। मूल कर्तव्यों का पालन कराने का एकमात्र तरीका यह है कि लोगों को नागरिकता के मूल्यों तथा कर्तव्यों के बारे में शिक्षित किया जाए और उनमें पर्याप्त जागृति उत्पन्न की जाए तथा एक ऐसे अनुकूल वातावरण का निर्माण किया जाए जिसमें प्रत्येक नागरिक अपने सवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने तथा समाज के प्रति अपना ऋण चुकाने में गर्व तथा बंधन का अनुभव करे।



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