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‘मिशनरी’ निन्दक से लेखक का क्या तात्पर्य है?

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मिशनरी निन्दक से लेखक का तात्पर्य उन निंदकों से है जो पूरी पवित्र भावना से निन्दा के कार्य में लगे रहते हैं। उनका किसी से वैर नहीं, द्वेष नहीं। वे किसी का बुरा नहीं सोचते। पर चौबीसों घंटे वे निंदा कार्य में बहुत पवित्र भाव से लगे रहते हैं। उनकी नितांत निर्लिप्तता, निष्पक्षता इसी से मालूम होती है कि वे प्रसंग आने पर अपने आप की पगड़ी भी उसी आनंद से उछालते हैं जिस आनंद से अन्य लोग दुष्मनों की। निन्दा इनके लिए ‘टॉनिक’ होती है।



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