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किसी सदिश में परिमाण व् दिशा दोनों होते है क्या इसका यह अर्थ है की कोई राशि जिसका परिमाण व् दिशा हो, वह अवश्य ही सदिश होगी ? किसी वास्तु के घूर्णन की व्यवस्था घुनं - अक्ष की दिशा और अक्ष के परितः घूर्णन - कोण द्वारा की जा सकती है क्या इसका यह अर्थ है की कोई भी घूर्णन एक सधर्श है ? |
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Answer» कोई राशि जिसका परिमाण व् दिशा हो, वह आवशय ही सदिश हो, यह आवश्यक नहीं है । कीसी राशि के सदिश होने के लिए आवशयक है की उसका परिमाण व् दिशा हो तथा हो वह सदिश योग के नियम का पालन करती है किसी वास्तु का किमी अक्ष के परितः निश्चित घूर्णन एक सदिश नहीं है जबकि इसमें परिमाण व् दिशा दोनों यही परन्तु यह सदिश योग के नियमो का पालन नहीं करती है जबकि अतिसूक्षम घूर्णन योग के नियमो का पलकें नहीं केटी है जबकि अतिसूक्ष्म घूर्णन एक सदिश है क्योँकि यह सदिश योग के नियमो का पालन करता है |
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