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हैलोऐल्केन में नाभिकसनेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ होती है, जबकि हैलोऐरीन्स में मुख्यत : इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ होती है, क्यों?

Answer» हैलोऐल्केन, हैलोऐरीन की तुलना में अधिक धृवीय होते है, अतः इनमे कार्बन परमाणु धनावेशित होता है, जबकि हैलोऐरीन में अनुनाद के कारण कार्बन पर आवेश अधिक उत्पन नहीं हो पाता, अतः विशेष परिस्थितियो में ही नाभिकसनेही प्रतिस्थापन क्रियाएँ देते है।


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