1.

दो समतल वृताकार कुंडलियों के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व हेतु व्यंजक ज्ञात कीजिये एवं उनके मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व को प्रभावित करने वाले कारक को लिखिये।

Answer» मानलो प्राथमिक कुण्डली P और द्वितीयक कुण्डली S एक-दूसरे के निकट समाक्ष रखी हुई हैं। प्राथमिक कुण्डली P की त्रिज्या `r_(1)` तथा फेरों की संख्या `n_(1)` है। इसी प्रकार, द्वितीयक कुण्डली S की त्रिज्या `r_(2)` तथा फेरों की संख्या `n_(2)` हैं।
यदि प्राथमिक कुण्डली में प्रवाहित होने वाली धारा I हो, तो इस कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र
`B=(mu_(0))/(4pi).(2pin_(1)I)/(r_(1))=(mu_(0)n_(1)I)/(2r_(1))`
इस चम्बकीय क्षेत्र को द्वितीयक कुण्डली S के तल के लिये एकसमान माना जा सकता है। अत: द्वितीयक कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
`phi=nBA`
`=n_(2)(mu_(0)n_(1)I)/(2r_(1)).pir_(2)^(2)` ....(1)
किन्तु `phi=MI` ....(2)
समी. (1) और (2) से,
`M=(mu_(0)n_(1)n_(2))/(2r_(1)).pir_(2)^(2)`
यदि कुण्डलियों के मध्य `mu` चुम्बकशीलता का कोई माध्यम हो, तो
`M=mu(n_(1)n_(2))/(2r_(1))xxpir_(2)^(2)`
यही दो समतल वृत्ताकार कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व के लिये व्यंजक है।
अन्योन्य प्रेरकत्व की निर्भरता-
(i) प्राथमिक कुंडली में फेरो की संख्या `n_(1)` का मान बढ़ाने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बद्ध जाता है ।
(ii) द्वितीयक कुण्डली में फेरों की संख्या `n_(2)` का मान बढ़ाने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ जाता है।
(iii) प्राथमिक कुण्डली की त्रिज्या `r_(1)` का मान बढ़ाने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान कम हो जाता है।
(iv) द्वितीयक कुण्डली का क्षेत्रफल `(pir_(2)^(2))` का मान बढ़ाने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ जाता है।
(v) दोनों कुण्डलियों के बीच अधिक चुम्बकशीलता का माध्यम रखने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ जाता है।


Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions