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चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने को दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धान्तों के खिलाफ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए। |
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Answer» यह निर्णय लोकतांत्रिक चुनावों के आधारभूत सिद्धान्तों के विरुद्ध नहीं है क्योंकि चिनप्पा और सतबीर दोनों ही अपराधी हैं। दोनों को कानून का पालन न करने पर न्यायालय द्वारा दण्डित किया जा चुका है अर्थात् ये दोनों देश के लिए । ‘ अच्छे व आदर्श नागरिक सिद्ध नहीं हुए हैं। इसलिए उन्हें केन्द्र अथवा राज्य सरकार में कोई पद धारण नहीं करने देना चाहिए क्योंकि उनमें परिवार और समाज के प्रति सम्मान का अभाव है और उनसे देश व समाज के प्रति सम्मान प्रदर्शन की आशा नहीं है। |
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