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चालान धारा तथा विस्थापन धारा की प्रकृति एक दूसरे से भिन्न होते हुए भी उनका योगफल संतत (continuous ) होता है । इस कथन की व्याख्या करे । |
| Answer» चालन धारा (conducation current ) `I _(c )` मुलत: विधुत-आवेश के यथार्थ प्रवाह के कारण होती है, अर्थात `I_(c)=(dQ)/(dt),` लेकिन विथापन धारा `I_(d)` का अस्तित्व समय के साथ परिवर्तन विधुत-क्षेत्र के कारण होता है, अर्थात `I_(d)=epsi_(0)(d phi_(E))/(dt)=epsi_(0)(dt(AE))/(dt)=A(d(epsi_(0)E))/(dt)=A(dD)/(dt),` यहाँ `vecD=epsi_(0)vecE` को विधुत विस्थापन सदिश कहा जाता है। स्पष्टता , दोनों की प्रकृति एक-दूसरे से भिन्न है। संधारित की आवेशन प्रक्रिया के क्रम में इसकी प्लेटो के बीच आवेश का प्रवाह नहीं होता, फलता चलन धरा शून्य है तथा संधारित्र के बाहर विस्थापन धारा शून्य है, लेकिन दोनों का योगफल, अर्थात `I_(c)+I_(d)` का मान परिपथ के प्रत्येक बिंदु पर समान रहता है, अर्थात `(I_(c)+I_(d))` संतत है । | |