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भारत में सामाजिक विघटन से सम्बन्धित कुछ प्रमुख समस्याओं की विवेचना कीजिए।याभारत में सामाजिक अपराध की समस्याओं पर प्रकाश डालिए। 

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भारत में सामाजिक विघटन से सम्बन्धित समस्याओं को वैयक्तिक विघटन, पारिवारिक विघटन तथा सामुदायिक विघटन के आधार पर निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है–

1. वैयक्तिक विघटन से सम्बन्धित समस्याएँ-इन समस्याओं में प्रमुख हैं

⦁    समायोजन की समस्या–देश में भौतिक स्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं। घर-घर में फ्रिज, कारें, टेलीविजन आदि देखने को मिलते हैं। परन्तु अभौतिक परिस्थितियों में बहुत कम परिवर्तन हुए हैं। अधिकांश लोग पुरानी रूढ़ियों, अन्धविश्वासों तथा धार्मिक मान्यताओं में जकड़े पड़े हैं। साधारण व्यक्ति भौतिक तथा अभौतिक स्थितियों में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पा रहा। परिणामस्वरूप व्यक्ति चिन्ता, निराशा, अभाव व असुरक्षा से ग्रस्त हो गया है।
⦁    आर्थिक विषमता की समस्या-भारत में एक ओर राजनीतिज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी एवं अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति भोग-विलासमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। तो दूसरी ओर सामान्य व्यक्ति आर्थिक अभाव से ग्रस्त हैं। वह कुण्ठावश अपनी आवश्यकताओं में वृद्धि करता है और उनकी पूर्ति हेतु भ्रष्ट या समाज-विरोधी तरीके अपनाने से नहीं चूकता। परिणामस्वरूप वह पारिवारिक कलह, भ्रष्टाचार, ऋणग्रस्तता की पकड़ में आकर विघटित होता है।
⦁    भौतिकवाद की समस्या-भारत में भी पश्चिमी देशों की तरह भौतिकवाद समाज पर हावी होता जा रहा है। व्यक्ति के चारों ओर भौतिक सामग्री, सुखमय व विलासी जीवन बिखरा पड़ा है। उससे लालायित होकर व्यक्ति अपराध के रास्ते पर जाकर भौतिक सुख भोगने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ती। परिणामस्वरूप बाल-अपराध, वेश्यावृत्ति, मद्यपान, मादक द्रव्य व्यसन, पागलपन, आत्महत्या, भिक्षावृत्ति, विवाह-विच्छेद के रूप में व्यक्ति का विघटन हो रहा है।

2. पारिवारिक विघटन सम्बन्धी समस्याएँ-हमारे देश में भौतिकवाद के प्रति झुकाव तथा संयुक्त परिवार के बिखराव के परिणामस्वरूप पारिवारिक विघटन सम्बन्धी अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गयी हैं। परिवार में स्नेह, प्रेम, सहयोग, सद्भाव जैसे गुणों का अभाव होता जा रहा है, जो पारिवारिक विघटन का रूप ले रहा है। पारिवारिक विघटन निम्नलिखित समस्याओं को जन्म दे रहा है
⦁    सदस्यों में हितों की एकता का अभाव,
⦁    पारिवारिक उद्देश्यों की एकता का अभाव,
⦁    यौन-इच्छाओं की पूर्ति परिवार के बाहर,
⦁    विरोधी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षाएँ।

3. सामुदायिक विघटन सम्बन्धी समस्याएँ-सामुदायिक विघटन वह स्थिति है जिसमें उसका स्वाभाविक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, उसमें असन्तुलन आ जाता है। सामुदायिक विघटन के कारक हैं-सामाजिक परिवर्तन, संघर्ष, व्यक्तिवाद, संस्थागत रूढ़िवादिता, राजनीतिक भ्रष्टाचार तथा गतिशीलता। सामुदायिक विघटन जो समस्याएँ उत्पन्न करता है, वे हैं-युद्ध व हिंसा, साम्प्रदायिकता, आतंकवाद, क्षेत्रवाद आदि।



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