This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा बनाएं-दास = ——–निज = ——–गुरु = ——–जड़। = ——— |
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Answer» शब्द . विपरीत शब्द दास = दासता। निज = निजता। गुरु = गुरुत्व। जड़ = जड़ता। |
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मन के भीतर और बाहर उजाला करने के लिए तुलसी कौन-सा दीपक हृदय में रखने की बात करते हैं? |
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Answer» तुलसी हृदय में श्रीराम नाम रूपी मणियों के दीपक को रखने की बात करते हैं। |
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निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए(1) प्रभु तरुतर कपि डार पर, ते किए आपु समान।तुलसी कहुँ न राम से, साहिब सील निधान।(2) सचिव, वैद, गुरु तीनि जो, प्रिय बोलहिं भयु आस।राज, धर्म, तन तीनि कर, होइ बेगिही नास। |
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Answer» (1) कवि कहता है कि प्रभु श्री राम जी तो वृक्षों के नीचे और बंदर वृक्षों की डालियों पर रहते थे, परंतु ऐसे बंदरों को भी उन्होंने अपने समान बना लिया। तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रीरामजी जैसे शीलनिधान स्वामी अन्य किसी स्थान पर कहीं भी नहीं हैं। (2) कवि कहता है कि स्वामी से तो वह सेवक बड़ा होता है जो अपने धर्म के पालन को करने में निपुण होता है। इसीलिए स्वामी श्रीराम तो सागर पर पुल बंधने के बाद ही समुद्र पार कर सके परंतु उनका सेवक हनुमान तो बिना पुल के ही समुद्र लांघ गया था। |
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संत किस की भाँति नीर-क्षीर विवेक करते हैं? |
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Answer» संत हंस की भाँति नीर-क्षीर विवेक करते हैं। |
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तुलसीदास के अनुसार भव सागर को कैसे पार किया जा सकता है? |
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Answer» तुलसीदास के अनुसार श्रीराम से स्नेह, सांसारिक प्राणियों से समता तथा राग, रोष, दोष, दुःख आदि का त्याग करने से भव सागर को पार किया जा सकता है। |
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रामभक्ति के लिए गोस्वामी तुलसीदास किसकी आवश्यकता बतलाते हैं? |
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Answer» गोस्वामी तुलसीदास रामभक्त के लिए ईश्वर की भक्ति, नीर-क्षीर विवेकी होने और परम आस्तिकता के भावों की आवश्यकता बतलाते हैं। रामभक्ति के लिए संत समागम और हृदय की पवित्रता आवश्यक है। |
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जो व्यक्ति दूसरों के सुख और समृद्धि को देखकर ईर्ष्या से जलता है, उसे भाग्य में क्या मिलता है? |
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Answer» जो व्यक्ति दूसरों की सुख-समृद्धि से ईर्ष्या में जलता है उसे अपने जीवन में कभी सुख की प्राप्ति नहीं होती। |
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