This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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तुलसी और रहीम के समय की स्थिति कैसी रही होगी ? |
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Answer» तुलसीदास और रहीम भक्ति काल के प्रमुख कवि थे। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार भक्ति काल का समय सं. 1375 से 1700 तक माना है। तत्कालीन भारतीय समाज में हिंदु - मुस्लिम दो संस्कृतियों व विचार धाराओं का पारस्परिक संघर्ष हो रहा था । साहित्य की दृष्टि से हिंदी साहित्य के भक्ति काल को उसका स्वर्णयुग मानते हैं। ज्ञानाश्रयी - प्रेमाश्रयी, सगुण - निर्गुण, राम भक्ति - कृष्ण भक्ति, संत - सूफी इस प्रकार के तरह-तरह की भक्ति धाराओं से समाज प्रभावित होने लगा। |
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| 2. |
दोहों में किन - किन मूल्यों के बारे में बताया गया है? |
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Answer» दोहों में तुलसी और रहीम, पाप और पुण्य के बारे में, आपत्ति में साथ रहने के अच्छे गुणों के बारे में दूसरों से व्यवहार करने की तरीके के बारे में और आडंबरों से बाहर अर्थात बडप्पन को बनाये रखना आदि नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों के बारे में बताये। |
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तुलसीदास ने शरीर और मन की तुलना किसके साथ की है? |
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Answer» तुलसीदास ने शरीर को खेत के साथ और मन को किसान के साथ तुलना की है। |
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इस दोहे में खजूर के पेड की तुलना किसके साथ की गयी है? |
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Answer» इस दोहे में खजूर के पेड की तुलना बड़े लोगों के साथ की गयी है। |
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निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।पुष्कर सोता है निज सर में,भ्रमर सो रहा है पुष्कर में,गुंजन सोया कभी भ्रमर में,सो, मेरे गृह – गुंजन, सो !सो, मेरे अंचल – धन, सो !1. पुष्कर यहाँ सोता हैA) निज सर मेंB) सागर मेंC) नाल मेंD) झील में2. कभी अमर में कौन सोया है?A) भ्रमरB) पुष्करC) गुंजनD) सर3. अमर कहाँ सो रहा है?A) पुष्कर मेंB) निज सर मेंC) गृह मेंD) गुंजन में4. सो, मेरे …… सो। रिक्त स्थान की पूर्ति करो।A) भ्रमरB) पुष्करC) गुंजनD) अंचल धन5. गृह शब्द का अर्थ पहचानिए।A) घरB) वनC) कमलD) नयन |
Answer»
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रहीम के अनुसार फटे दूध से क्या नहीं बनता है? |
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Answer» रहीम के अनुसार फटे दूध को मथने पर भी मक्खन नहीं बनता है। |
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पाठ का शीर्षक तुम्हें कैसा लगा और क्यों? |
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Answer» दोहों का शीर्षक मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि रत्न तो बहुत क़ीमती चीज़ है। अनमोल रत्न का मतलब उन रानों की कीमत हम तोल नहीं सकते। वास्तव में अच्छी बातों के मूल्य हम नहीं तोल सकते । ये हमारे जीवन में बहुत काम आते हैं। इसलिए अच्छी बातों को अनमोल रत्न कहना उचित ही है। |
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