1.

यदि परिपथ को 110 V, 12 KHz आपूर्ति से जोड़ा जाए तो प्रश्न (a) व (b) का उत्तर निकालिए | इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृतियों पर एक संधारित्र चालक होता है | इसकी तुलना उस व्यवहार से कीजिए जो किसी DC परिपथ में एक संधारित्र प्रदर्शित करता है |

Answer» दिया है-वोल्टेज का rms मान, `V_(rms) = 110V` ,brgt संधारित्र की आवृत्ति `(f) = 12 kHz = 12000Hz`
संधारित्र की धारिता`(C ) = 10^(-4) F`
प्रतिरोध `(R ) = 40 Omega`
धारितीय प्रतिघात,
`X_(C)=(1)/(2pifC)=(1)/(2xx3.14xx12000xx10^(-4))=0.133Omega`
धारा का rms मान,
`I_(rms)=(V_(rms))/(sqrt(X_(C)^(2)+R^(2)))=(110)/(sqrt((40)^(2)+(0.133)^(2)))=2.75A`
धारा का अधिकतम मान,
`I_(0)=sqrt(2)I_(rms)=1.414xx2.75=3.9A`
अतः `X_(C)` का मान बहुत कम तथा C नगण्य लेने पर,
`tanphi=(1)/(omegaCR)=(1)/(2xx3.14xx12000xx10^(-4)xx40)=(1)/(96pi)`
यह अति है |
अति उच्च आवृत्ति पर, `phi to 0`
तुलना करने पर अति उच्च आवृत पर संधारित्र के कारण प्रतिरोध नगण्य है अतः यह एक शुद्ध धारिता वाला संधारित्र है जिसकी धारितीय प्रतिघात नगण्य है |
DC परिपथ में, `omega=0` (स्थायी अवस्था में )
`X_(C) = (1)/(omegaC) = oo`
अतः यह खुले परिपथ की भांति कार्य करता है |


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