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व्यवसाय का स्वामियों के प्रति 4 दायित्वों को स्पष्ट करो​

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कर्मचारियों को समय से उचित पारिश्रमिक का भुगतान करना।कर्मचारियों को हरसम्भव श्रेष्ठ कार्यदशाएं उपलब्ध करना।कार्य के उचित मानदण्ड का निर्माण करना।कर्मचारियों एवं श्रमिकों को हरसम्भव कल्याण सुविधायें प्रदान करना।कर्मचारियों हेतु उचित प्रशिक्षण एवं शिक्षा की व्यवस्था करना।Explanation:आधुनिक काल में नागरिकों के जीवन और समाज पर व्यावसायिक कार्यकलापों का विभिन्न रूप से बहुत बड़ा प्रभाव होता है। पूर्व-आधुनिक काल में व्यवसायी वर्ग के लिए व्यवसाय के ‘सामाजिक’ मूल्य के संबंध में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती थी क्योंकि उस समय आशा की जाती थी कि बाजार की शक्तियाँ मूल्य व्यवस्था को स्वयं ही बनाए रखेंगी। यदि कोई व्यवसाय सफल होता था तो यह माना जाता था वह अपने से कम सफल व्यवसाय की अपेक्षा सामाजिक मूल्यों को अधिक बनाए रख रहा है लेकिन आधुनिक युग के समाज-विज्ञानी ऐसा नहीं मानते। आज सभी मानते हैं कि व्यवसाय के अन्तर्गत केवल ग्राहकों को संतुष्ट करके केवल आर्थिक लाभ को प्राप्त करना ही नहीं आता बल्कि उसका कर्तव्य तो कुछ और सामाजिक दायित्वों को पूरा करना भी है। व्यवसाय के सामाजिक दायित्व से अभिप्राय होता है, फर्म द्वारा उन नीतियों को अपनाना और उन कार्यों को करना जो समाज की आशाओं और उसके हित की दृष्टि से वांछनीय हों। परन्तु मिल्टन फ्रीडमैन, एफ.ए. हेयक और गिल्बर बर्क जैसे कुछ क्लासिकी अर्थशास्त्रियों की मान्यता 1970 के दशक के प्रारंभिक वर्षों तक कुछ और ही थी।



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