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व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ पारिवारिक सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन में भी श्रम का विशेष महत्व है। श्रम के बिना व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र का जीवन खोखला ही रह जाता है। श्रम से जीवन में गतिशीलता आती है। यह गतिशीलता ही जीवन का वास्तविक चिन्ह होती है। निश्चेष्ट जीवन व्यतीत करने वालों को असफलता और अपयश के अतिरिक्त कुछ श्री प्राप्त नहीं होता। गति के अभाव में जीवन की स्थिति घा के पत्थर जैसी होती है। जबकि मनुष्य के जीवन में पग-पग पर विघ्न बाधायें अपना जाल बिछायें बैठी होती है। उसी समय यदि मनुष्य श्रम न करे तो वह कभी कभी आगे नहीं बढ़ सकेगा। उचित शीर्षक लिखे |
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