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व्यापारी द्वारा नया व्यापार शुरू न करने, पण्डित का शास्त्रार्थ में भाग न लेने का मूल कारण क्या हो सकता है? |
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Answer» व्यापारी किसी हानि के भय से किसी नए व्यापार में हाथ नहीं डालता तथा पण्डित पराजित होने और मानहानि होने के भय से शास्त्रार्थ से दूर भागता है। दोनों के मूल में भीरुता की भावना रहती है। |
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