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वाह शक्ति हमे दो.........प्रार्थना se humein kya shiksha milti hai

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आदरणीय सदस्यगण,

वह शक्ति हमें दो द्यानिधे कर्तव्यमार्ग पर डट जावें

पर सेवा पर उपकार में हम निज जीवन सफल बना जावें

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लम्बी प्रार्थना है । हम इसे अपने स्कूल के दिनों में दैनिक प्रार्थना में गाते थे लेकिन कभी इसके रचयिता की ओर ध्यान नहीं गया। आज इसके बारे में कुछ लोगों से चर्चा के क्रम में जिज्ञासा उत्पन्न हुई। एक मित्र ने कहा कि यह पं० राम नरेश त्रिपाठी की रचना है लेकिन मेरे मन में संशय था। ई कविता के सद्स्य सज्जन जी से पूछा तो उन्होनें श्रीमान गूगल की मदद से बताया कि इसके रचयिता रीवा के पं० परशुराम पाण्डेय जी हैं लेकिन उसी लेख में यह भी लिखा है कि उक्त प्रार्थना के रचयिता कोई मुरारीलाल शर्मा ’बालबन्धु’ जी हैं। पुनः द्विविध की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। आप के समक्ष यह समस्या शोधार्थ एवं समाधानार्थ रख रहा हूँ। प्रामाणिक और असन्दिग्ध जानकारी की अपेक्षा है।

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