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वागरूपं भावप्रकटनं केन कौशलेन सम्भवति ?1. श्रवण कौशलेन2. भाषण कौशलेन3. पठन कौशलेन4. लेखन कौशलेन5.

Answer» Correct Answer - Option 2 : भाषण कौशलेन

प्रश्नानुवाद → वाणी - रूप भाव प्रकट करना कौन से कौशल से संबंधित है?

स्पष्टीकरण → वाणी - रूप भाव प्रकट करना भाषण कौशल से संबंधित है।

  • भाषा कौशलों में श्रवण​, भाषण​, पठन, लेखन इन चार कौशलों का अंतर्भाव होता है। इनमें से श्रवण एवं पठन भाषा के ग्रहणात्मक कौशल है तथा भाषण (वाचन, सम्भाषण) एवं लेखन ये भाषा के अभिव्यक्तात्मक कौशल है।
  • भाषण (वाचन) कौशल में अपनी वाणी द्वारा भावों/विचारों को व्यक्त या प्रकट किया जाता है अर्थात् भाषण कौशल द्वारा मौखिक अभिव्यक्ति होती है। किसी भी भाषा का ग्रहण पक्ष (अर्थात श्रवण तथा वाचन) जितना सरल होता है, अभिव्यक्ति पक्ष (अर्थात् भाषण तथा लेखन) उतना ही जटिल होता है।

भाषणकौशल का महत्त्व →

  1. दैनिक जीवन में सभी कार्य भाषण कौशल (वाचन कौशल) पर निर्भर करते हैं। व्यक्ति जितना वाक्पटु होता है, वह उतना ही सफल होता है।
  2. भाषण कौशल से मौखिक अभिव्यक्ति के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व की भी पहचान होती है, जैसे → आत्मविश्वास​, स्पष्टता, स्थिरता, मानसिक स्तर​, उसके स्वयं आचार तथा विचार इत्यादि। यदि योग्य अभ्यास करवाया जाए तो भाषण कौशल द्वारा छात्रों के व्यक्तित्व का विकास भी होता है।
  3. मौखिक अभिव्यक्ति का उद्देश्य है - अपने विचारों, भावों तथा अनुभवों को दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाना। इसके साथ ही साथ उचित भाषा प्रयोग करना जिससे श्रोता को बात स्पष्ट​, सहज​, शुद्ध, स्वाभाविक माध्यम से समझ आये।
  4. भाषण कौशल के द्वारा अपनी बात श्रोताओं को समझ आये, इसलिये उनके मानसिक स्तर के अनुरूप विचारों का क्रमबद्ध होना भी आवश्यक है।
  5. भाषण कौशल द्वारा व्यक्ति अपने विचारों का, उचित भाषा शैली का प्रयोग करते हुये शांतिपूर्ण व प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुतीकरण कर सकता है। उसमें स्पष्ट उत्तर देने की क्षमता होती है।
  6. भाषण कौशल का विकास सुनने से और बोलने से होता है। व्यक्ति जितना दूसरों की बाते सुनता है, दूसरों की बातों का बोलने के समय निरीक्षण कर, उस कौशल को ग्रहण करता है, वैसे ही वह स्वयं बात करते समय अभिव्यक्त करता है, जो सुना हुआ है वह दूसरों के साथ बाँटता है। इससे व्यक्ति के शब्दभंडार में भी वृद्धि होती होती है क्योंकि दूसरों से सुने हुए न​ए शब्दों को बोलकर अपने व्यवहार में लाने का वह प्रयास करता है।

भाषण कौशल के उद्देश्य →

  1. अपने विचार तथा भावनाओं को प्रभावी तरीके से एवं सारगर्भित रूप से दूसरों के समक्ष प्रस्तुत करना।
  2. अपने विचार क्रमिक रूप से तथा उचित धारा प्रवाह में प्रस्तुत करना जिससे छात्र अपनी दक्षता का प्रदर्शन कर सके।
  3. छात्रों की झिझक दूर करके उनके मन में आत्मविश्वास की भावना जागृत करना, जिससे वह आत्मविश्वास के साथ दैनिक कार्यों में व्यवहार कर सके।
  4. छात्रों में प्रसंगानुसार मुहावरे एवं लोकोक्तियों के प्रयोग की क्षमता विकसित करना, जिससे वे अपने प्रस्तुतीकरण को प्रभावोत्पादक बना सकें|
  5. भाषण की सार्थकता शुद्ध उच्चारण पर भी निर्भर है। उच्चारण में भाषा की ध्वनियों, लय​, धाराप्रवाह, अनुतान​, स्वराघात​, बलाघात​, गति, विराम इनका भी अंतर्भाव होता है। इससे श्रोतागणों को अर्थग्रहण करने में सरलता प्राप्त होती है। इन्ही तत्वों पर व्यक्ति की भावाभिव्यक्ति भी अवलंबित होती है।

भाषणकौशल का विकास होने हेतु उपाय →

  1. सर्वप्रथम श्रवण तथा पठन कौशल का पर्याप्त अभ्यास कराना।
  2. सस्वर वाचन​, प्रश्नोत्तरविधि, चित्रवर्णन​, कवितावाचन​, कथाकथन​, घटनावर्णन ऐसी गतिविधियों में छात्रों की सक्रियता बढ़ाना।
  3. विविध नाटिका, व्याख्यान प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता, परिसंवाद तथा विचारविमर्श स्पर्धा आयोजित कराना।

 

अतः स्पष्ट होता है कि, वाणी - रूप भाव प्रकट करना भाषणकौशल से संबंधित है।

अन्य विकल्प →

  • श्रवण → श्रवण कौशल के अंतर्गत बच्चे सुनकर विषय को ग्रहण करते हैं और उसे समझने का प्रयास करते हैं।
  • पठन → पठन कौशल के अंतर्गत छात्र पढ़ने की क्षमता को विकसित करता है, जिससे वह भाषा के लिखित स्वरूप को समझ सके तथा ज्ञानार्जन कर सके।
  • लेखन → लेखन कौशल के अंतर्गत बच्चा लिखकर स्वयं के भावों एवं विचारों को अभिव्यक्त करता है।


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