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तोड़ती पत्थर कविता के vastu vidhan का वर्णन ​

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'वह तोड़ती पत्थर' कविता भाव सौंदर्य की दृष्टि से बहुत संपन्न है। सड़क पर गिट्टी तोड़ती मजदूरनी का वर्णन करते हुए कवि सरल शब्दों से परिवेश का निर्माण करता है। वह छायाहीन पेड़ तले बैठी है। उसकी पृष्ठभूमि साधारण श्रमिक परिवार की है, किंतु शील और सच्चरित्रता जैसे चारित्रिक गुणों को दिखाना भी कवि नहीं भूला है।



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