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'तौलिये’ एकांकी के पात्र बसन्त का चरित्र-चित्रण कीजिए।

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‘तौलिये’ एकांकी का नायक तथा प्रधान पात्र है-बसन्त । उसकी प्रमुख चरित्रगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

मध्यम वर्गीय परिवार से बसन्त मध्यम वर्ग से जुड़ा व्यक्ति है। उसने अपने जीवन में विपन्नता देखी है। वह छ: भाई थे और एक ही तौलिये से अपना शरीर पोंछते थे। उसको कठोर परिश्रम करना पड़ता था। वह इतना व्यस्त रहता था कि उसको कई-कई दिनों तक बनियान बदलने और धोने का भी अवसर नहीं मिलता था।

यथार्थवादी – बसन्त यथार्थवादी है। वह जीवन की सच्चाई से भागता नहीं, उसका कहना है-यदि हमें जीवन का सामना करना है तो रोज गन्दगी से दो-चार होना पड़ेगा फिर इससे घृणा कैसी? वह गन्दगी से घृणा नहीं करता बल्कि इसको दूर करने और जीवन को स्वच्छ बनाने में विश्वास करता है।

स्वच्छता की सनक से दूर – बसन्त स्वच्छता को पसन्द करता है। वह उसकी सनक से चिढ़ता है। उसने तौलियों तथा बनियानों के बारे में मधु के विचारों को स्वीकार कर भी लिया है। परन्तु यदि वह भूल से कोई दूसरी तौलिया उठा लेता है तो इस पर मधु का अपने प्रति व्यवहार उसको क्रोधित कर देता है। वह सफाई के प्रति ऐसी सनक को नापसन्द करता है।

सच्चा पति और प्रेमी – बसन्त मधु का पति है। वह उससे सच्चा प्रेम करता है। वह उसके तकल्लुफ भरे जीवन से उसे बाहर निकालना चाहता है। वह इस कारण उसको गिरती सेहत के प्रति चिन्तित है और उसको समझाता है-अब तुम जीवन का रहस्य समझ पाई हो। जीवन का भेद बाह्य तड़क-भड़क में नहीं अन्तर की दृढ़ता में है।

हँसमुख और शिष्ट – बसन्त हँसमुख है। वह प्रसन्न रहता है। शिष्टाचार के नाम पर अनावश्यक निषेध उसको पसन्द नहीं है। वह नैसर्गिक तथा स्वाभाविक जीवन जीने में विश्वास करता है।



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