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Swar sandhi ke 50 examples |
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Answer» Explanation: दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर-संधि कहते हैं। उदाहरण : मुनि + ईश = मुनीश । ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश । सदा + एव = सदैव । सु + आगत = स्वागत । ने + अन = नयन । स्वर संधि को निम्नलिखित पाँच भागों में विभाजित किया गया है : (१) दीर्घ संधि (Dirgha Sandhi) (२) गुण संधि (Gun Sandhi) (३) वृद्धि संधि (VRIDDHI Sandhi) (४) यण संधि (Yan Sandhi) (५) अयादि संधि (Ayadi Sandhi)
दीर्घ संधि (Dirgha Sandhi) ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई, और ऊ हो जाते हैं । उदाहरण : (अ + अ = आ) धर्म + अर्थ = धर्मार्थ । (अ + आ = आ) हिम + आलय = हिमालय । (आ + अ = आ) विद्या + अर्थी = विद्यार्थी । (आ + आ = आ) विद्या + आलय = विद्यालय । (इ + इ = ई) रवि + इंद्र = रवींद्र, मुनि + इंद्र = मुनींद्र । (इ + ई = ई) गिरि + ईश = गिरीश, मुनि + ईश = मुनीश । (ई + इ = ई) मही + इंद्र = महींद्र, नारी + इंदु = नारींदु । (ई + ई = ई) नदी + ईश = नदीश मही + ईश = महीश । (उ + उ = ऊ) भानु + उदय = भानूदय, विधु + उदय = विधूदय । (उ + ऊ = ऊ) लघु + ऊर्मि = लघूर्मि, सिधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि । (ऊ + उ = ऊ) वधू + उत्सव = वधूत्सव, वधू + उल्लेख = वधूल्लेख । (ऊ + ऊ = ऊ) भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व, वधू + ऊर्जा = वधूर्जा । गुण संधि (Gun Sandhi) इसमें अ, आ के आगे इ, ई हो तो ए, उ, ऊ हो तो ओ, तथा ऋ हो तो अर् हो जाता है। इसे गुण-संधि कहते हैं । उदाहरण : (अ + इ = ए) नर + इंद्र = नरेंद्र । (अ + ई = ए) नर + ईश = नरेश । (आ + इ = ए) महा + इंद्र = महेंद्र । (आ + ई = ए) महा + ईश = महेश । (अ + ई = ओ) ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश । (आ + उ = ओ) महा + उत्सव = महोत्सव । (अ + ऊ = ओ) जल + ऊर्मि = जलोर्मि । (आ + ऊ = ओ) महा + ऊर्मि = महोर्मि । (अ + ऋ = अर्) देव + ऋषि = देवर्षि । (आ + ऋ = अर्) महा + ऋषि = महर्षि । वृद्धि संधि (Vriddhi Sandhi) अ आ का ए ऐ से मेल होने पर ऐ अ आ का ओ, औ से मेल होने पर औ हो जाता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं । उदाहरण : (अ + ए = ऐ) एक + एक = एकैक । (अ + ऐ = ऐ) मत + ऐक्य = मतैक्य । (आ + ए = ऐ) सदा + एव = सदैव । (आ + ऐ = ऐ) महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य । (अ + ओ = औ) वन + ओषधि = वनौषधि । (आ + ओ = औ) महा + औषधि = महौषधि । (अ + औ = औ) परम + औषध = परमौषध । (आ + औ = औ) महा + औषध = महौषध । यण संधि (Yan Sandhi) (क) इ, ई के आगे कोई विजातीय (असमान) स्वर होने पर इ ई को ‘य्’ हो जाता है। (ख) उ, ऊ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर उ ऊ को ‘व्’ हो जाता है। (ग) ‘ऋ’ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर ऋ को ‘र्’ हो जाता है। इन्हें यण-संधि कहते हैं । उदाहरण : (इ + अ = य् + अ) यदि + अपि = यद्यपि । (ई + आ = य् + आ) इति + आदि = इत्यादि । (ई + अ = य् + अ) नदी + अर्पण = नद्यर्पण । (ई + आ = य् + आ) देवी + आगमन = देव्यागमन । (उ + अ = व् + अ) अनु + अय = अन्वय । (उ + आ = व् + आ) सु + आगत = स्वागत । (उ + ए = व् + ए) अनु + एषण = अन्वेषण । (ऋ + अ = र् + आ) पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा । अयादि संधि (Ayadi Sandhi) ए, ऐ और ओ औ से परे किसी भी स्वर के होने पर क्रमशः अय्, आय्, अव् और आव् हो जाता है। इसे अयादि संधि कहते हैं । उदाहरण : (ए + अ = अय् + अ) ने + अन = नयन । (ऐ + अ = आय् + अ) गै + अक = गायक । (ओ + अ = अव् + अ) पो + अन = पवन । (औ + अ = आव् + अ) पौ + अक = पावक । (औ + इ = आव् + इ) नौ + इक = नाविक । |
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