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स्वयंप्रभा और समुज्जवला का अर्थ लिखिए।long answer |
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Answer» प्रभा और समुज्जवला का अर्थ लिखिए... स्वयंप्रभा और समुज्जवला का अर्थ होगा...स्वयंप्रभा ➲ स्वयं में प्रकाशवान होने वाली।समुज्जवला ➲ अत्याधिक प्रकाशवान, कांति युक्त ✎... कवि जयशंकर प्रसाद अपनी कविता ‘हिमाद्रि तुंग श्रृंग से’ में कहते हैं...हिमाद्रि तुंग श्रृंग से, प्रबुद्ध शुद्ध भारती। स्वयंप्रभा समुज्ज्वला, स्वतंत्रता पुकारती॥ अर्थात कवि का कहना है कि स्वतंत्रता अपने आप में प्रकाशवान और कांतिमय होती है अर्थात स्वतंत्रता का अपना एक सुख और आनंद होता है, वह स्वयं में प्रकाशित होती है और स्वयं से ही कांति युक्त होती है, इसी कारण कवि ने स्वतंत्रता को स्वयंप्रभा और समुज्जवला कहा है।○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○ |
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