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सूचना पत्र कैसे लिखते है |
| Answer» 276 कैलाशपुरीदिल्लीदिनांक.......प्रिय राहुलआज ही तुम्हारे पत्र से मालूम हुआ कि तुम्हारी पूज्य माता जी का स्वर्गवास हो गया है। मेरा मन शोक से व्याकुल हो गया। मुझे अब भी वे दिन याद हैं, जब हम दोनों के परिवार दिल्ली में पास-पास रहते थे। एक ही गली में रहने के कारण हर समय का साथ था। तुम्हारी माताजी मुझे पुत्र के समान मानती र्थी। मैं जब पिछले वर्ष उनसे मिला था तो वे काफी दुबली हो गई थी और आँखों से साफ देख भी नहीं पाती थीं। उनकी आत्मा उस दुबली देह में कष्ट का अनुभव कर रही थी। प्रत्येक शरीर अन्त में समाप्त होता है। ईश्वर के इस नियम पर किसी का वश नहीं चलता। इस दुखद अवसर पर मैं स्वयं उपस्थित होना चाहता था, किन्तु कई दिन से बीमार चल रहा हूँ। डॉक्टर ने दस दिन के लिए पूर्ण विश्राम की सलाह दी है। ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ कि माताजी की आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति दें। स्वस्थ होकर मैं शीघ्र ही तुमसे मिलने आऊँगा।शोकाकुल हृदयपवन | |