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समंक संकलन की उचित रीति का चयन किन बातों पर निर्भर करता है? 

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समंक संकलन की उपयुक्त रीति का चयन प्राथमिक समंकों के संकलन की विभिन्न रीतियों में से किसी भी एक रीति को सर्वश्रेष्ठ नहीं कहाँ जा सकता। समंक संकलन के लिए किस रीति को अपनाया जाए, यह निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है–

1. अनुसंधान की प्रकृति – यदि अनुसंधान में सूचकों से व्यक्तिगत संपर्क रखने की आवश्यकता है। तो ‘प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान रीति’; यदि शिक्षित व्यक्तियों से जानकारी प्राप्त करनी है तो ‘डाक द्वारा अनुसूचियाँ प्राप्त करने की रीति’; यदि अनुसंधान का क्षेत्र व्यापक है तो प्रगणकों द्वारा अनुसूचियाँ भरवाने की रीति तथा यदि नियमित रूप से किसी एक विषय में जानकारी प्राप्त करनी है तो संवाददाताओं द्वारा सूचना प्राप्ति की रीति’ अधिक उपयुक्त रहेगी।
2. अनुसंधान का उद्देश्य एवं क्षेत्र – यदि अनुसंधान का क्षेत्र सीमित है तो प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान की रीति’ तथा व्यापक क्षेत्र में प्रगणकों द्वारा अनुसूचियाँ भरवाने की रीति’ अधिक उपयुक्त रहेगी।
3. आर्थिक साधन – आर्थिक साधन अधिक होने पर प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान रीति’ अथवा ‘प्रगणकों द्वारा अनुसूची भरवाने की रीति’ को अपनाया जा सकता है। इसके विपरीत, आर्थिक साधनों के सीमित होने पर डाक द्वारा अनुसूचियाँ भरवाने की रीति अपनाई जा सकती है।
4. अपेक्षित शुद्धता की मात्रा – प्रत्यक्ष अनुसंधान रीति में अत्यधिक शुद्धता रहती है। अप्रत्यक्ष अनुसंधान रीति में अधिक शुद्ध परिणाम प्राप्त नहीं होते। संवाददाताओं द्वारा सूचनाएँ प्राप्त करने पर शुद्धता का परिणाम और भी कम हो जाता है। प्रगणकों द्वारा अनुसूचियाँ भरवाने पर शुद्धता का स्तर अधिक होता है, परन्तु सूचकों द्वारा अनुसूचियाँ भरवाने में शुद्धता का स्तर अपेक्षाकृत कम ही रहता है।
5. उपलब्य समय – समय कम होने पर ‘संवाददाताओं से जानकारी प्राप्त करने की रीति’ अथवा ‘सूचकों से प्रश्नावलियाँ भरने की रीति’ अधिक उपयुक्त है। उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखकर ही उपयुक्त समंक संकलन विधि का चुनाव करना चाहिए।



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