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श्रृंगार रस का आसान उदहारण दीजिये। |
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Answer» कहत नटत रीझत खीजत खिलत मिलत लजीयात।भरे भौन मे करत है नैनन ही सो बात वियोग --निसिदिन बरसात नयन हमारे , सदा रहित पावस ऋतु हम पे जब से स्याम सिधारे ।।।।। वियोग का अभी देती हूँ।। संयोग श्रृंगार-- राम को रूप निहारत जानकी ककन के नाग की परिझाहि , यति सबै सुख भूल गई कर टेक रही पर टारती नहि। |
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