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रुचि से आप क्या समझते हैं? रुचि के मूल्यांकन में प्रयुक्त प्रमुख रुचि परीक्षणों पर प्रकाश डालिये।यारुचि परीक्षण से आप क्या समझते हैं ?

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रुचि का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Interest)

किसी कार्य की सफलता या असफलता के लिए उत्तरदायी मानवे व्यक्तित्व के कुछ गुणों; जैसे—बुद्धि, मानसिक योग्यता एवं अभिरुचि के अलावा व्यक्ति की उस कार्य के प्रति रुचि भी एक महत्त्वपूर्ण कारक है। रुचि का गुण व्यक्ति को उस कार्य में रस एवं आनन्द की स्थिति प्रदान करता है। रुचि का अभिप्राय एक ऐसी मानसिक व्यवस्था है जिसके कारण से कोई व्यक्ति किसी वस्तु अथवा विचार को पसन्द या नापसन्द करता है। ये मूल प्रवृत्तियों से सम्बन्धित एक प्रवृत्ति है जो व्यक्ति को वातावरण के कुछ विशेष तत्त्वों की ओर ध्यान देने की प्रेरणा प्रदान करती है। हम रुचिकर कार्यों को करने की इच्छा रखते हैं तथा उन्हें करने में हमें सुख व सन्तोष का अनुभव भी होता है।
रुचि का मानसिक योग्यता तथा अभिरुचि से गहरा सम्बन्ध है। प्रायः अनुभव किया जाता है कि जिन कार्यों को करने की हमारे पास मानसिक योग्यता और अभिरुचि होती है, उन कार्यों को हम विशेष लगाव तथा रुचि के साथ करते हैं। रुचि की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं |

⦁    गिलफोर्ड के अनुसार, “रुचि वह प्रवृत्ति है जिसमें हम किसी व्यक्ति, वस्तु या क्रिया की ओर ध्यान देते हैं, उससे आकर्षित होते हैं या सन्तुष्टि प्राप्त करते हैं।”
⦁    बिंघम के शब्दों में, “रुचि वह मानसिक क्रिया है जो किसी अनुभव में एकाग्रचित्त हो जाने । पर बनी रहती है।”
देश, काल एवं पात्र के अनुसार रुचियों में परिवर्तन होता रहता है तथा आयु बढ़ने पर यह स्थिरता को प्राप्त हो जाती है।

मुख्य रुचि परीक्षण
(Main Interest Tests)

मनोविज्ञान में रुचि का शुद्ध व वैज्ञानिक मापन करने के लिए अनेक परीक्षणों का निर्माण किया गया है। रुचि परीक्षणों का पहला रूप ‘रुची’ (Check list) होता है जिसमें परीक्षार्थी के सम्मुख विभिन्न व्यवसायों की सूची प्रस्तुत की जाती है। परीक्षार्थी अपनी पसन्द के व्यवसायों पर निशान लगाता है, जो उसकी पसन्दगी का क्रम भी बताते हैं। प्रमुख रुचि परीक्षण निम्नलिखित हैं|

(1) स्ट्राँग का व्यावसायिक रुचि-पत्र (The Strong Vocational Interest Check List)-इस ‘कागज-पेन्सिल परीक्षण’ (Paper-Pencil Test) के दो रूप हैं—पहला, पुरुषों के लिए तथा दूसरा, स्त्रियों के लिए प्रत्येक में 400 परीक्षण-पद होते हैं तथा 263 परीक्षण-पद ऐसे हैं जो दोनों में शामिल है। इस रुचि परीक्षण के पहले भाग में कुछ व्यवसाय हैं, शेष अन्य दोनों भागों में क्रमानुसार विद्यालय के पाठ्य-विषय, मनोविज्ञानों की क्रियाएँ (खेलकूद, पत्र-पत्रिकाएँ आदि), अनेक प्रकार के व्यक्तियों की विशेषताएँ इत्यादि। अन्तिम भाग में परीक्षार्थी को कुछ युगल परीक्षण-पदों की परस्पर तुलना करनी पड़ती है तथा उसे स्वयं अपनी मानसिक योग्यताओं, व्यक्तित्व की विशेषताओं तथा परीक्षण में निहित क्रियाओं का श्रेणीकरण करना पड़ता है। परीक्षण-पद में उल्लिखित कथन के विषय में परीक्षार्थी अपनी पसन्द, नापसन्द तथा उदासीनता व्यक्त करता है। हालांकि, परीक्षण हल करते समय परीक्षार्थी पर समय का कोई बन्धन नहीं रहता, किन्तु प्राय: सामान्य तथा तीव्र बुद्धि वाले व्यक्ति इसे 30 मिनट में, असन्तुलित मस्तिष्क या बुद्धि की कमी वाले लोग 1 से 2 घण्टे में उसे हल कर लेते हैं। सूक्ष्म विचारों तथा कठिन शब्दावली की उपस्थिति ने इस परीक्षण का प्रयोग कॉलेज के विद्यार्थियों तथा शिक्षित प्रौढ़ों तक सीमित कर दिया है। यह परीक्षण व्यावसायिक निर्देशन के लिए सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है। अलग-अलग व्यवसायों के लिए कुंजियाँ अलग-अलग बनी होती हैं। पुरुषों के व्यवसाय के लिए 47 कुंजियाँ तथा स्त्रियों के व्यव्साय के लिए 27 कुंजियाँ इसमें मौजूद हैं। इन कुंजियों के आधार पर व्यक्ति की रुचियों को ज्ञात किया जाता है और यह पता लगाया जाता है कि अमुक व्यक्ति किस व्यवसाय के लिए सर्वाधिक उपयुक्त रहेगा। व्यावसायिक निर्देशन में स्ट्राँग द्वारा निर्मित यह रुचि परीक्षण अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुआ है।

(2) क्यूडर का व्यावसायिक पसन्द लेख (Cudor Vocational Preference Record)हाईस्कूल स्तर तक के बालकों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त सिद्ध होने वाला यह रुचि परीक्षण क्यूडर द्वारा बनाया गया। इसमें कुल मिलाकर 168 पद-समूह सम्मिलित हैं। प्रत्येक पद-समूह में तीन-तीन पद होते हैं एवं तीनों में से प्रत्येक पद अलग-अलग व्यवसाय की ओर इशारा करता है। इन पदों में से परीक्षार्थी को अपनी सबसे अधिक पसन्द के तथा सबसे कम पसन्द के पदों को बताना पड़ता है। परीक्षण को बनाते समय दस प्रकार की व्यावसायिक रुचियों को आधार बनाया गया है, जो इस प्रकार हैं –
⦁    बाह्य,
⦁    यान्त्रिक,
⦁    यान्त्रिक रुचि,
⦁    गणनात्मक रुचि,
⦁    संगीतात्मक रुचि,
⦁    संगीतात्मक,
⦁    गणनात्मक,
⦁    लिपिक सम्बन्धी,
⦁    लिपिक रुचि तथा
⦁    समाज-सेवा सम्बन्धी रुचि।

हाईस्कूल तथा इण्टरमीडिएट स्तर के विद्यार्थियों की व्यावसायिक रुचियों का पता लगाने के लिए यह रुचि-मापी अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुआ है। इस परीक्षण का उपयोग हमारे प्रदेश अर्थात् उत्तर प्रदेश में शैक्षिक व्यावसायिक निर्देशन एवं परामर्श में विशेष रूप से किया जाता है।

निष्कर्षतः, रुचि के अनुकूल कार्य एवं व्यवसाय पाने वाले लोग जीवन में सुख, सन्तोष, उत्साह तथा सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग स्वयं को हर प्रकार की परिस्थितियों से आसानी से अनुकूलित कर लेते हैं, लेकिन रुचि के प्रतिकूल कार्य मिलने पर लोगों का उत्साह ठण्डा पड़ जाता है। वे सदैव दु:खी, असन्तुष्ट तथा असफल देखे जाते हैं। यही कारण है कि आज की दुनिया में, खासतौर पर व्यवसाय के क्षेत्र में रुचि-मापी परीक्षणों का विशेष महत्त्व बढ़ता जा रहा है।



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