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रेबीज नामक संक्रामक रोग के लक्षण, उदभवन काल एवं उपचार के उपायों पर प्रकाश डालिए।अथवाटिप्पणी लिखिए- कुत्ते का काटना 

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रेबीज

रेबीज एक विषाणुजनित रोग है। इस रोग के विषाणु रोगी पशु (कुत्ता, गीदड़, बन्दर आदि) की लार में रहते हैं। अतः जब कोई रोगग्रस्त पशु मुख्यतः कुत्ता, गीदड, बन्दर किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसकी लार में विद्यमान विषाणु स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं एवं व्यक्ति को रोगग्रस्त कर देते हैं।

लक्षण रेबीज के विषाणु रोगी व्यक्ति के केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र पर प्रभाव डालते हैं। इस स्थिति में निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं।

⦁    तीव्र सिरदर्द, तीव्र ज्वर तथा गले एवं छाती की पेशियों के संकुचन से पीड़ा होती है।

⦁    गले की नलियों के अवरुद्ध होने से रोगी को तरल आहार ग्रहण करने में – कठिनाई होती है तथा जल से भय लगता है।

उद्भवन काल प्रायः पागल कुत्ते के काटने पर 15 दिन की अवधि में रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं, किन्तु कभी-कभी 7-8 महीने अथवा इससे भी अधिक समय तक इसका प्रभाव बना रह सकता है। सामान्यतः रोगग्रस्त या पागल कुत्ता काटने के बाद अधिकतम 15 दिन की अवधि में मर जाता है। अतः यदि कुत्ता मनुष्य को काटने के बाद भी जीवित रहे अथवा पागल न हो तो उसे रोगग्रस्त नहीं माना जाना चाहिए।

उपचार रोगग्रस्त पशु के काटने पर निम्नलिखित उपचार करने चाहिए

⦁    काटे गए स्थान को काबलिक साबुन एवं स्वच्छ जल से भली-भाँति धोना चाहिए।

⦁    घाव पर एण्टीसेप्टिक की औषधि का लेप लगाना चाहिए।

⦁    घाव पर पट्टी नहीं बाँधनी चाहिए, अपितु उसे खुला रखना चाहिए।

⦁    कुत्ते के काटने पर एण्टीरेबीज इंजेक्शन लगवाने भी अनिवार्य हैं।



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