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रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न सँभार।धनुहि सैम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार।।भावार्थ बताएं |
| Answer» लक्ष्मण के द्वारा कहे जाने पर कि बचपन में मैंने बहुत सारी dhanuhiyon को तोड़ा है परंतु आपने कभी ऐसा क्रोध नहीं किया. इसी धनुष पर इतनी ममता क्यों है ? इस बात पर परशुराम क्रोधित हो गए और उन्होंने कहा कि रे राजा के पुत्र ! काल के वश में होने के कारण तुम संभलकर बोल नहीं रहे हो. जिस धनुष के बारे में पूरा विश्व जानता है कि यह शिव का धनुष है, उसे तुम एक साधारण धनुही के समान बता रहे हो. | |