⦁ लोकसंग्रह (लोकहित) की भावना के कारण मर्यादा की प्रबल भावना। ⦁ राम का परब्रह्मत्व। ⦁ दास्य भाव की उपासना। ⦁ समन्वय की विराट् चेष्टा। ⦁ स्वान्त:सुखाय काव्य-रचना। ⦁ अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं, प्रबन्ध और मुक्तक दोनों काव्य-शैलियों एवं विविध छन्दों का प्रयोग।