Answer» Correct Answer - Option 1 : सस्वर वाचनं मौनवाचनञ्च
प्रश्नानुवाद → पठनकौशल में क्या होता है? स्पष्टीकरण → पठनकौशल में सस्वर वाचन और मौनवाचन होता है। - लिखित भाषा को पढने की क्रिया को ‘पठनकौशल’ कहा जाता है। यह भाषाकौशल का ग्रहणात्मक कौशल है। वाचन अथवा पठनकौशल यह ज्ञानोपार्जन का साधन है। पठनकौशल के भिन्न - भिन्न उद्देश्य है। यथा → १) वर्णों, शब्दों का शुद्ध उच्चारण करना। २) पाठ्यसामग्री का अर्थबोध एवं भावबोध करने की योग्यता विकसित करना। ३) उचित गति, यति, लय और स्वर में पठन करने का अभ्यास करना। ४) स्वाध्याय की प्रवृत्ति का विकास करना। इत्यादि।
- सस्वर वाचन → स्वर सहित पढ़ते हुए अर्थ ग्रहण करने को सस्वर वाचन कहा आता है। यह वाचन की प्रारंभिक अवस्था होती है। बच्चों में पढ़ने संबंधी झिझक को समाप्त करना, च्चारण को शुद्ध बनाना, वाचन में गति एवं प्रवाह का ध्यान रखना, भावों के अनुरूप पाठ वाचन करना, पढ़ते समय आनंद की अनुभूति करना आदि इसके उद्देश्य होते है।
- मौन पठन → इसके द्वारा छात्र गहराई से अर्थग्रहण करते हुए चिन्तन-मनन एवं तर्क शक्ति का विकास करते हैं। मौनपठन से विषयवस्तु पर ध्यान अधिक केंद्रित किया जाता है, ना कि उच्चारण पर; इसीलिए मस्तिष्क की सारी ऊर्जा केवल अर्थबोध होने पर रहती है। उस समय हमारा सारा ध्यान पाठ्यवस्तु में निहित विचार पर ही होता है। अत: हम एकाग्रचित होकर उसका विश्लेषण करते हैं, मूल्यांकन करते हैं और उसके प्रति अपनी मानसिक प्रतिक्रिया भी करते रहते हैं। पुस्तकालय तथा सार्वजनिक स्थानों पर जहाँ जोर से बोलना वर्जित होता है, मौन पठन का व्यावहारिक महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
अतः स्पष्ट होता है कि, पठनकौशल में सस्वर वाचन और मौनवाचन होता है। अन्य विकल्पों का हिंदी अनुवाद → - शुद्धलेखनं परिमार्जनञ्च → शुद्धलेखन और परिमार्जन।
- अन्त्याक्षरी श्लोकलेखनञ्च → अंताक्षरी और श्लोकलेखन।
- भाषांशस्य लिपिरुपे अवतारणम् → भाषा के अंश को लिपिरुप में अवतरित करना।
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