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प्रश्नावली क्या है? प्रश्नावली व अनुसूची में क्या अन्तर है? प्रश्नावली बनाते समय किन सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए?

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सूचना दो प्रकार से प्राप्त हो सकती है
1. प्रश्नावलियों के प्रयोग से तथा
2. अनुसूचियों के द्वारा।

1. प्रश्नावली – प्रश्नावली में प्रश्न दिए रहते हैं। इनमें प्रश्नों के उत्तर के लिए रिक्त स्थान नहीं होता। उत्तर सूचकों द्वारा अलग प्रपत्रों पर लिखे जाते हैं। आजकल प्रश्नावली में प्रत्येक प्रश्न के साथ वैकल्पिक उत्तर छाप देने की पद्धति अपनाई जाती है जिससे सूचक सही उत्तर पर निशान लगा देता है।

2. अनुसूची – ‘अनुसूची’ प्रश्नों की वह सूची है जिसे प्रगणकों द्वारा सूचकों से पूछताछ करके भरा जाता हैं यह एक रिक्त सारणी के रूप में होती है जिसमें प्रत्येक मद के सामने या नीचे प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए रिक्त स्थान होता है।
प्रश्नावली तथा अनुसूची में अंतर – सामान्यतः प्रश्नावली एवं अनुसूची को एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता है क्योंकि दोनों का ही उद्देश्य सूचना देने वालों से सूचना प्राप्त करना है किंतु प्रयोग विधि के आधार पर इन दोनों में सूक्ष्म अंतर है। प्रश्नावली में प्रश्नों के उत्तर सूचकों द्वारा स्वयं दिए जाते हैं। इसके विपरीत, अनुसूची में प्रश्नों की सूची के प्रगणकों द्वारा सूचकों से सूचना प्राप्त करके भरा जाता है। प्रश्नों के उत्तर के लिए रिक्त स्थान छोड़ दिया जाता है। व्यवहार में दोनों का प्रयोग एक ही अर्थ में किया जाता है।

प्रश्नावली का उदाहरण

आप अपने नगर में महाविद्यालय के छात्रों के व्ययों का अध्ययन करना चाहते हैं। इसके लिए प्रश्नावली का नमूना तैयार कीजिए।

मेरठ नगर के महाविद्यालयों में छात्रों की व्यय प्रवृत्ति का सर्वेक्षण
1. छात्र/छात्रा …………………………………………………………..
2. कक्षा-स्नातक/स्नातकोत्तर                                                                           संकाय : विधि/विज्ञान/कला/वाणिज्य
3. कॉलेज का नाम …………………………………………………………..
4. स्थायी निवास (गाँव/नगर का नाम)
5. यदि आप मेरठ के निवासी नहीं हैं तो मेरठ में रहने की व्यवस्था क्या है? छात्रावास/किराये का कमरा/रिश्तेदारों या परिचित के यहाँ आवास/प्रतिदिन आना-जाना।
6. आयु ……………………. वर्ष ……………………. माह ………………………….
7. पिता का नाम …………………………………………………………..
8. माँ का नाम …………………………………………………………..
9. पिता का व्यवसाय …………………………………………………………..
10. पिता की आय …………………………………………………………..
11. परिवार के अन्य सदस्यों की आय (यदि कोई हो) …………………………………………………………..
12. छात्र की मासिक आय (यदि कोई हो) …………………………………………………………..
13. छात्र की प्रतिमाह व्यय के लिए प्राप्त होने वाली राशि ………………………………..
(अ) परिवार से …………………………………………………………..
(ब) निजी आय से …………………………………………………………..
(स) छात्रवृत्ति से …………………………………………………………..
कुल राशि …………………………………………………………..
14. छात्र के मासिक व्यय के मद और राशि मद व्यय की राशि (निकटतम रुपया)
(i) कॉलेज की फीस …………………………………………………………..
(ii) पुस्तक एवं पाठ्य-सामग्री …………………………………………………………..
(iii) छात्रावास का किराया …………………………………………………………..
(iv) भोजन …………………………………………………………..
(v) बस/रेल का किराया …………………………………………………………..
(vi) खेलकूद व मनोरंजन पर व्यय …………………………………………………………..
(vii) अन्य व्यय …………………………………………………………..
15. क्या आपको मिलने वाली राशि पर्याप्त है? यदि नहीं, तो कितनी आवश्यकता और समझते हो? ……………………………….
16. क्या आप अपने वर्तमान मासिक व्यय में से कुछ बचत कर सकते हैं? यदि हाँ, तो मद और बचत का अनुमानित विवरण ……………..
17. अन्य संबंधित सूचना …………………………………………………………..

उत्तम प्रश्नावली के लिए सावधानियाँ

सांख्यिकीय अनुसंधान की सफलता मुख्य रूप से प्रश्नावली की उत्तमता पर निर्भर करती है; अतः प्रश्नावली तैयार करते समय सावधानी व सतर्कता बरतनी आवश्यक है। एक प्रश्नावली की रचना करते समय अग्रलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए

1. निवेदन पत्र – अनुसंधानकर्ता को प्रश्नावली के साथ एक निवेदन पत्र लगाना चाहिए जिससे वह अपना परिचय दे, अनुसंधान का उद्देश्य बताए तथा सूचना को गुप्त रखने तथा इसका दुरुपयोग न करने का विश्वास दिलाए।

2. प्रश्नों की संख्या कम – प्रश्नावली में प्रश्नों की संख्या कम होनी चाहिए। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रश्न इतने कम न हो जाएँ कि पर्याप्त सूचना ही प्राप्त न हो सके।

3. सरल व स्पष्ट प्रश्न – प्रश्न सरल, स्पष्ट व सूक्ष्म होने चाहिए। अधिकांश प्रश्न ऐसे होने चाहिए जिनका उत्तर ‘हाँ’ या नहीं में दिया जा सके। प्रश्नों में अप्रचलित, जटिल व असम्मानसूचक शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

4. उचित क्रम – प्रश्न प्राथमिकता अथवा महत्त्व के क्रम में रखे जाने चाहिए। परस्पर संबंधित प्रश्नों ” को एक ही स्थान पर केन्द्रित किया जाना चाहिए।

5. वर्जित प्रश्न – प्रश्नावली में ऐसे प्रश्न सम्मिलित नहीं किए जाने चाहिए जिनसे सूचक के आत्मसम्मान तथा सामाजिक व धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचे, जो उनके मन में संदेह, उत्तेजना या विरोध उत्पन्न करे अथवा जो उसके व्यक्तिगत व्यवहार से संबंधित हों। प्रो० सेक्राइस्ट के शब्दों में-“यदि कठिन तथा अपरिचित प्रश्नों अथवा अविश्वास या संदेह उत्पन्न करने वाले प्रश्नों को पूछा जाता है तो उनके उत्तर अपूर्ण, संक्षिप्त, अर्थहीन, सामान्य या जानबूझकर टालने वाले होने की संभावना रहती है।”
6. प्रश्नों की प्रकृति – प्रश्न चार प्रकार के हो सकते हैं—
(i) सामान्य विकल्पीय प्रश्न – ऐसे प्रश्नों के उत्तर ‘हाँ’ या नहीं’ अथवा ‘गलत’ या ‘सही’ दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए क्या आपके पास कार है? अथवा क्या आप किराये के मकान में रहते हैं? इस प्रकार के प्रश्नों का गठन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

(ii) बहुविकल्पीय प्रश्न – इस प्रकार के प्रश्नों में अनेक संभव उत्तर होते हैं। ये उत्तर प्रश्नावली में छपे होते हैं और सूचक उनमें से किसी एक पर निशान लगा देता है।
(iii) विशिष्ट जानकारी देने वाले प्रश्न – ये प्रश्न विशिष्ट जानकारी प्रदान करते हैं; जैसे-आपकी आयु क्या है? आपके कितने बच्चे हैं?

(iv) खुले प्रश्न – इन प्रश्नों का उत्तर सूचक को अपने शब्दों में देना होता है। उदाहरण के लिए भारत में मुद्रा स्फीति को किस प्रकार नियन्त्रित किया जा सकता है? प्रश्नावली में जहाँ तक संभव हो सके, प्रथम प्रकार के प्रश्न पूछे जाने चाहिए।

7. प्रश्नों में उचित शब्दों का प्रयोग – प्रश्नों के गठन में सही स्थान पर सही शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए। प्रश्न ऐसे होने चाहिए जिनके अर्थ प्रमापित एवं सर्वविदित हों।

8. प्रत्यक्ष संबंध – प्रश्न अनुसंधान से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित होने चाहिए ताकि व्यर्थ की सूचना एकत्र करने में धन, श्रम व समय का अपव्यय न हो।

9. सत्यता की जाँच – प्रश्नावली में ऐसे प्रश्नों को भी समावेश होना चाहिए जिससे उत्तरों की यथार्थता की परस्पर जाँच की जा सके।

10. प्रश्नावली का गठन – प्रश्नावली के गठन पर उपयुक्त ध्यान दिया जाना चाहिए। उत्तर लिखने के लिए पर्याप्त स्थान छोड़ना चाहिए।

11. सूचक की योग्यता के अनुसार प्रश्न – प्रश्नावली में ऐसे प्रश्न होने चाहिए जिनके उत्तर सूचक सरलता से दे दें।

12. आवश्यक निर्देश – प्रश्नावली भरने के संबंध में प्रश्नावली के प्रारम्भ में अथवा अंत में स्पष्ट रूप से आवश्यक निर्देश दिए जाने चाहिए ताकि सूचक को सूचना देने में आसानी हो।

13. पूर्व परीक्षण एवं संशोधन – प्रश्नावली के तैयार हो जाने पर, अनुसंधान कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व उसका कुछ लोगों पर परीक्षण कर लेना चाहिए। इससे प्रश्नावली के दोषों को दूर करने में सहायता मिलेगी।



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