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पहिरोगी माल गरे मौरपश्वा शिर ऊपर राखिो, गंज की मोदि पितंवर ले लकृति बन गोधन पानि अंगा भावती वौरि मेरी रसखान भी तेरे कट्टै भव ਯਿਹ || स्वाँग करोगी । या मुरली मुरती ब्यर की अयशन पी अखरा म परीनी 11 |
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