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निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।(क) पति बर्नै चारमुख पूत बर्नै पंच मुख नाती बर्नै षटमुख तदपि नई-नई।(ख) चहुँ ओरनि नाचति मुक्तिनटी गुन धूरजटी वन पंचवटी।(ग) सिंधु तर यो उनको बनरा तुम पै धनुरेख गई न तरी।(घ) तेलन तूलनि पूँछि जरी न जरी, जरी लंक जराई-जरी। |
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Answer» निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। (क) पति बर्नै चारमुख पूत बर्नै पंच मुख नाती बर्नै षटमुख तदपि नई-नई। (ख) चहुँ ओरनि नाचति मुक्तिनटी गुन धूरजटी वन पंचवटी। (ग) सिंधु तर यो उनको बनरा तुम पै धनुरेख गई न तरी। (घ) तेलन तूलनि पूँछि जरी न जरी, जरी लंक जराई-जरी। |
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