1.

मञ्जूषात: अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- सहसा दूरे क्रमश: यदा तदा परन्तु यदि तर्हि एकस्मिन्‌ वने कश्चन व्याध: जालं विस्तीर्य -------------------- स्थित:। -------------------- आकाशे सपरिवार: कपोतराज: चित्रग्रीव: निर्गत:। -------------------- तण्डुलकणानामुपरि कपोतानां लोभो जात:। -------------------- राजा तत्र सहमत: नासीत्‌। तस्य युक्ति: आसीत्‌ -------------------- निर्जने वने कोऽपि मनुष्यो नास्ति -------------------- कुतो वा तण्डुलकणानां सम्भव:? -------------------- राज्ञ: उपदेशमस्वीकृत्य ते नीचै: आगता, -------------------- जाले निपतिता:। अत: उक्तम्‌ '-------------------- विदधीत न क्रियाम्‌'।

Answer»

ञ्जूषात:
अव्ययपदानि
चित्वा रिक्तस्थानानि
पूरयत
-









सहसा
दूरे क्रमश
:
यदा
तदा परन्तु
यदि तर्हि




एकस्मिन्‌
वने कश्चन व्याध
:
जालं
विस्तीर्य
-------------------- स्थित:
-------------------- आकाशे
सपरिवार
:
कपोतराज:
चित्रग्रीव:
निर्गत:
--------------------
तण्डुलकणानामुपरि
कपोतानां लोभो
जात
:
-------------------- राजा
तत्र सहमत
:
नासीत्‌।
तस्य युक्ति
:
आसीत्‌
-------------------- निर्जने
वने कोऽपि मनुष्यो
नास्ति
--------------------
कुतो
वा तण्डुलकणानां
सम्भव
:?
-------------------- राज्ञ:
उपदेशमस्वीकृत्य
ते नीचै
:
आगता,
-------------------- जाले
निपतिता
:
अत
: उक्तम्‌
'--------------------


विदधीत
न क्रियाम्‌
'



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions