Answer» Correct Answer - Option 1 : दन्ताः
प्रश्नानुवाद → लृतुलसानां _________ रिक्तस्थान की पूर्ति करे। स्पष्टीकरण → लृतुलसानां दन्ताः। संस्कृतभाषा में प्रत्येक वर्ण का एक विशिष्ट उच्चारणस्थान होता है। कंठ से निकली हवा का मनुष्य के मुखविवर में जिस अवयव के समीप घर्षण होता है वह एक "उच्चारस्थान" होता है। प्रस्तुत सूत्र "लृतुलसानां दन्ताः।" के अनुसार लृ, त - वर्ग, ल, स इनका उच्चारणस्थान "दंत" है। | स्थान | सूत्र | व्याख्या | | कण्ठ्य | अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः। | अ, क - वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्), ह्, विसर्ग का उच्चारणस्थान कंठ होता है। | | तालव्य | इचुयशानां तालु। | इ, च - वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्), य्, श् का उच्चारणस्थान तालु होता है। | | मूर्द्धन्य | ऋटुरषाणां मूर्धा। | ऋ, ट - वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्), र्, ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है। | | दन्त्य | लृतुलसानां दन्ताः। | लृ, त - वर्ग (त्, थ्, द्, ध्), ल्, स् का उच्चारणस्थान दंत होता है। | | ओष्ठ्य | उपूपध्मानीयानामोष्ठौ। | उ, प - वर्ग और उपध्मानीय (उपध्मानीय अर्थात् "प" वर्ग से पहले आनेवाला विसर्ग) का उच्चारणस्थान ओष्ठ है। | | नासिक्य | ञमङणनानां नासिका च। | ञ्, म्, ङ्, ण्, न् का उच्चारणस्थान नासिका है। | | कण्ठ और तालु | एदैतोः कण्ठ तालु। | ए और ऐ का उच्चारणस्थान कंठ और तालु है। | | कण्ठ और ओष्ठ | ओदौतोः कण्ठोष्टम्। | ओ और औ का उच्चारणस्थान कंठ और ओष्ठ है। | | दन्त और ओष्ठ | वकारस्य दन्तोष्ठम्। | व का उच्चारणस्थान दंत और ओष्ठ है। | | जिह्वामूल | जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम्। | जिह्वामूलीय (जिह्वामूलीय अर्थात् "क" वर्ग से पहले आनेवाला विसर्ग) का उच्चारणस्थान जिह्वा के मूल में स्थित होता है। | | नासिक्य | नासिका अनुस्वारस्य। | अनुस्वार का उच्चारणस्थान नासिका है। | अतः स्पष्ट होता है कि, रिक्तस्थान में दन्ताः यह उचित शब्दप्रयोग है।
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