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लेखिका ने ‘छाया’ और ‘माया’ का अनूठा खेल किसे कहा है? |
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Answer» लेखिका ने यूमथांग के रास्ते पर दुर्लभ प्राकृतिक सौंदर्य देखा। ये दृश्य उसकी आँखों और आत्मा को सुख देने वाले थे। धरती पर कहीं गहरी हरियाली फैली थी तो कहीं हल्का पीलापन दिख रहा था। कहीं-कहीं नंगे पत्थर ऐसे दिख रहे थे जैसे प्लास्टर उखड़ी पथरीली दीवार हो। देखते ही देखते आँखों के सामने से सब कुछ ऐसे गायब हो गया, जैसे किसी ने जादू की छडी फिरा दी हो, क्योंकि बादलों ने सब कुछ ढक लिया था। प्रकृति के इसी दृश्य को लेखिका ने छाया और माया का खेल कहा है। |
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