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कवि ने 'कनुप्रिया' काव्य में युद्ध की भयंकर ता का ज्वलंत चित्रण किया है । स्पष्ट कीजिए।​

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कनुप्रिया में युद्धभूमि के ऊपर लीलाभूमि (प्रेमजगत) को तरजीह दी गयी है। प्रेम हृदय का रागात्मक व्यापार है और युद्ध बुद्धि का ध्वंसात्मक व्यापार। अतः प्रेम ही वरणीय है, युद्ध नहीं—“कृष्ण का युद्ध सत्य है या राधा के साथ उनके तन्मयता में बीते प्रेम-क्षण?



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