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कर्टन और वेल्डिंग में परमाण्वीय हाइड्रोजन अथवा ऑक्सी हाइड्रोजन टोर्च किस प्रकार कार्य करती है? समझाइए। |
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Answer» `H_(2)underset(2000-4000)overset("विद्युत धारा, टंगस्टन इलेक्ट्रोड")rarrunderset("परमाणुक हाइड्रोजन")(2H)DeltaH=435.9` kJ/mol परमाणुक हाइड्रोजन की अर्द्ध-आयु बहुत कम (0.3 sec) होती है, इसलिए H-परमाणु शीघ्रता से परस्पर जुड़कर आण्विक `H_(2)` गैस बनाते है। इस प्रक्रम में अत्यधिक ऊर्जा निकलती है। इस ऊर्जा को कर्तन तथा वेल्डिंग में प्रयोग किया जाता है। यही परमाणुक हाइड्रोजन टोर्च का भी सिद्धान्त है। जब हाइड्रोजन को ऑक्सीजन में जलाया जाता है तो अत्यधिक ऊर्जा निकलती है तथा उच्च ताप उत्पन्न होता है। इसे वेल्डिंग में ऑक्सी हाइड्रोजन टोर्च के रूप में प्रयोग किया जाता है। |
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